आज के कुशीनगर की पहचान बुद्ध काल के कुशीनारा से की जाती है. बताते हैं 12वीं शताब्दी तक कुशीनारा शहर मौजूद था. 20वीं सदी में हुई खुदाई में यहां बौद्ध युग की कई चीजें मिलीं. आगे चलकर गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली को एक मंदिर के रूप में बनाया गया. मान्यता यह भी है कि यह क्षेत्र भगवान राम के बेटे कुश की राजधानी थी. आजादी के बाद कुशीनगर देवरिया जिले का हिस्सा था. 1994 में यह नए जिले के रूप में अस्तित्व आया.कुशीनगर नाम से लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई. इससे पहले क्षेत्र पडरौना के नाम से जाना जाता था. नए नाम से 2009 में पहला चुनाव हुआ था. 2014 में मोदी लहर चली तो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे आरपीएन सिंह भाजपा के राजेश पांडेय से हार गए. 2019 में भाजपा ने पूर्व विधायक विजय दूबे को टिकट दे दिया और एक बार फिर यहां कमल खिला. कुशीनगर सीट पर इस बार चौथी बार चुनाव हो रहा है.कुशीनगर लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. यहां 18 लाख मतदाता हैं, जिसमें 8 लाख महिलाएं हैं. 1991 की रामलहर में यहां से भाजपा को पहली बार जनता ने मौका दिया था. मोदी लहर में फिर से भाजपा का दौर आया.
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