Diabetes: डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. डायबिटीज दो तरह के होते हैं जिसमें पहले तरह के डायबिटीज में पैनक्रियाज से जरा भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है. जबकि दूसरे टाइप के डायबिटीज में पैनक्रियाज काफी कम मात्रा में इंसुलिन Produce करता है.
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Health Tips: आजकल डायबिटीज एक आम बीमारी बन चुकी है. ज्यादातर लोग इससे पीड़ित हैं लेकिन सही इलाज और परहेज के कारण अवे पने जीवन को अच्छी तरह से जी पा रहे हैं. पर दिक्कत वहां आती है जब लोगों को डायबिटीज होने का पता ही नहीं चल पाता है. शरीर में जब भी शुगर लेवल बढ़ता है तो ऐसा होने के लक्षण साफ दिखाई देते हैं. अगर आपको भी पैरों में ये लक्षण दिखते हैं तो उन्हें बिल्कुल भी नजरंदाज न करें.
डायबिटीज के मरीजों को दो तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जो कि डायबिटिक न्यूरोपैथी और पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज है. डायबिटिक न्यूरोपैथी होने पर शरीर की नसें पर असर पड़ता है, वहीं अगर आप पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज से पीड़ित है तो इसके लक्षण साफ तरह से पैरों पर दिखाई देता है क्योंकि ये डिजीज Blood Flow को प्रभावित करता है.
एथलीट फुट- डायबिटीज के मरीजों नसों पर असर पड़ने के कारण उनकें पैरों में दरारें पड़ जाती हैं. साथ में रेडनेस और खुजली जैसी परेशानियों होती हैं. एथलीट फुट एक फंगल इंफेक्शन है जो पैर की नसों को डैमेज कर देता है.
गैंग्रीन- इस बिमारी में पैर की कोशिकाएं मर जाती हैं. ऐसा होने का सबसे बड़ा कारण पैरों तक सही तरीके से खून की न पहुंचना होता हैं जिससे ऑकसीजन की सप्लाई कम हो जाती है. अगर गैंग्रीन बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो पैर तक कटवाने की नोबत आ सकती है
अल्सर- डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों को इस बिमारी का शिकार होना पड़ता है. अल्सर में पैर में दरार हो जाती है और वहां की Skin खराब होने के कारण घाव हो जाता है. घाव ज्यादा बढ़ने पर पैर को भी काटना पड़ सकता है. अगर आपको शुगर है और कभी भी घाव हो तो उसे हल्के में ने लें, तुरंत डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज शुरु करें.
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