सास-बहू को मिलकर अपने घर को स्नेह की डोर में बांध लेना चाहिए और यह तब होगा, जब सास और बहू दोनों में अच्छी ट्यूनिंग हो यानी दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझती हों. बात जहां सास-बहू के रिश्ते की आ जाती है तो यह रिश्ता जिंदगी भर के लिए होता है.
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नई दिल्ली: प्रिया और उसकी सासू मां के बीच गहरा लगाव देखकर सभी हैरान रह जाते हैं. दोनों ही एक-दूसरे की बहुत परवाह करती हैं. दोनों एक-दूसरे की हर बात पर गौर करती हैं. घर की हर जिम्मेदारी को दोनों मिलकर निभाती हैं. इसीलिए उनका घर खुशियों से गुलजार रहता है. वैसे भी जमाना चाहे कितना भी क्यों न बदल जाए लेकिन रिश्ते नहीं बदलते. रिश्तों को निभाना ही पड़ता है. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन रिश्तों को प्यार से सहेजना चाहते हैं या फिर कड़वाहट से भर देना चाहते हैं. जहां बात आती है ससुराल पक्ष के रिश्तों की तो अधिकतर लोग इनको बोझ की तरह महसूस करते हैं. सच तो यह है कि रिश्तों में मिठास डालना आपको आना चाहिए तभी तो सामने वाला भी आपको प्यार की निगाह से देखेगा. बात जहां सास-बहू के रिश्ते की आ जाती है तो यह रिश्ता जिंदगी भर के लिए होता है.
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सास-बहू का मजबूत रिश्ता
सास-बहू को मिलकर अपने घर को स्नेह की डोर में बांध लेना चाहिए और यह तब होगा, जब सास और बहू दोनों में अच्छी ट्यूनिंग हो यानी दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझती हों और दोनों में अपनेपन का भाव हो. इसमें कोई मुश्किल भी नहीं है. बस इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने रिश्ते में खुशबू बिखेर सकती हैं.
समझें एक-दूसरे को
एक मजबूत रिश्ते की नींव है, एक-दूसरे को समझना. सास-बहू के अच्छे रिश्ते के लिए जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे की बात को शांत भाव से सुनें और समझें. दोनों ही अलग-अलग परिवेश से आई हैं इसलिए इनके विचार, रहन-सहन आदि का तरीका अलग-अलग होगा. ऐसे में बेहतर है कि दोनों ही एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें और एक-दूसरे को स्वीकारें.
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सास की तुलना मां से न करें
हर किसी में अलग खासियत होती है. हर किसी का देखने का नजरिया अलग होता है. इसलिए जरूरी नहीं कि जो खासियत आपकी मां में हो, वह सासू मा में भी हो या फिर जो खासियत आप की सासू मां में है, वह मां में भी हो. दोनों को ही बराबर का सम्मान दीजिए. अब जबकि आपको अपनी सासू मां के साथ जिंदगी बितानी है तो बेहतर है कि उनका सम्मान करें और उनकी तुलना अपनी मां से न करें.
बहू की तुलना बेटी से न करें
सासू मां का फर्ज बनता है कि वे अपनी बहू को प्यार व सम्मान की दृष्टि से देखें. जिस तरह से वे अपनी बेटी से प्यार करती है, वैसे ही बहू को भी प्यार की नजरों से देखें. दो इंसान कभी भी एक समान नहीं हो सकते. इस बात को मान कर चलें और बहू की तुलना बेटी से न करें. सबका अपना अलग व्यक्तित्व, अपनी आदतें और अपना व्यवहार होता है.
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ससुराल को बनाएं प्राथमिकता
अब जबकि बहू अपना मायका छोड़कर ससुराल में कदम रख चुकी है तो उसका फर्ज बनता है कि वह पहली प्राथमिकता अपनी ससुराल को दे. जब एक बहू अपनी ससुराल को प्राथमिकता देती है तो वह सासू मां के दिल में अपनत्व का भाव खुद ही जगा देती है.
न करें बेटे को नियंत्रित
शादी के बाद मां को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बेटे को अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश न करे. अब वह विवाह के बंधन में बंध चुका है तो आपके साथ अब उस पर उसकी पत्नी का भी हक है. इसलिए अनावश्यक रूप से बेटे पर किसी प्रकार का दबाव न बनाएं. इस तरह की आपकी सोच बहू को आपके काफी करीब ले आएगी.
नजरअंदाज करें कुछ गलतियां
छोटी-मोटी गलतियां हर इंसान से होती हैं. अब जब बहू एक नए घर में, नए लोगों के साथ रहने आई है तो ऐसे में उससे छोटी-मोटी भूल हो सकती है. इस तरह की छोटी-मोटी गलतियों को नजरअंदाज कर दें. बहू को हर बात पर डांटना-फटकारना सही नहीं है.
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मानें ससुराल के रीति-रिवाज
हर घर के अपने रीति-रिवाज होते हैं. बहू के मायके के रीति-रिवाज, रहन-सहन अलग था. उसी तरीके से ससुराल के भी अपने कुछ रीति-रिवाज होंगे तो बेहतर है कि बहू ससुराल के रीति-रिवाजों को पूरे प्यार व सम्मान से अपनाए. जब वह ससुराल के रीति-रिवाजों को अपना समझने लगेगी तो उसकी सासू मां हमेशा उसके साथ खड़ी रहेंगी.
सासू मां के अनुभवों से सीखें
घर की बड़ी-बुजुर्ग होने के नाते आप की सासू मां आपसे जब कुछ कहती हैं या समझाती हैं तो उनकी बातों को ध्यान से सुनिए. उनकी बात को सुनकर उनके अनुभवों से सीख लीजिए. उनके अनुभव आगे आने वाले समय में आपके भी बहुत काम आएंगे. साथ ही जब आप उनकी बात को ध्यान से सुनेंगी और समझेंगी तो उनको भी अच्छा महसूस होगा.
न थोपें एक-दूसरे पर विचार
लगभग हर घर में सास-बहू के रिश्ते की मिठास को दूर करने का एक सबसे बड़ा कारण है, एक-दूसरे पर अपने विचार थोपना. दो इंसान कभी एक जैसे नहीं हो सकते. इसलिए एक-दूसरे के विचारों और भावनाओं का सम्मान करें. दोनों की अपनी अलग-अलग सोच है. दोनों को अपने तरीके से रहने का अधिकार है. इसलिए एक-दूसरे से जोर-जबर्दस्ती कर अपनी बात मनवाने की कोशिश न करें.
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सास की बातों को दिल से न लगाएं
मायके में मां भी थोड़ी-बहुत डांट-फटकार के साथ कुछ सिखाती और समझाती है. जब आप अपनी मां की बातों को दिल से न लगाकर उनसे सीखते हैं तो फिर सासू मां की डांट-फटकार का क्यों बुरा मानना. ये भी आपकी मां हैं और आपको कुछ सही समझाने की कोशिश करती हैं. अगर थोड़ा तेज आवाज में बात करती भी हैं तो इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं है.
शांति से करें विचार
अक्सर होता है कि घर में बहुत सी बातों पर आप दोनों एक-दूसरे से सहमत नहीं होंगी. बहू का मानना कुछ और होगा तो सास की सोच कुछ और कहेगी. ऐसे में आपस में बहस करने या झगड़ने के बजाय शांति से सोच-विचार कर बातचीत करें. कोई बीच का रास्ता निकालें. इस बीच दोनों एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखें.
आप भी इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें. इससे आप एक-दूसरे के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाकर घर में खुशियां ला सकती हैं.