जैन कथाओं के मुताबिक भगवान महावीर लोहरदगा गए थे. आइने अकबरी में भी इस इलाके का जिक्र मिलता है. कोयल, शंख, नंदिनी, चौपाट, फुलझर नदियों से घिरे लोहरदगा में छोटे-छोटे पहाड़, जंगल और झरने की वजह से बेहद खूबसूरत प्राकृतिक नजारे देखने को मिलते हैं. यहां लावापानी जलप्रपात भी है. इस क्षेत्र में काफी मात्रा में एलम्यूनियम पाया जाता है. झारखंड की लोहरदगा लोकसभा सीट रांची से अलग कर बनाई गई थी. लोहरदगा सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिजर्व सीट पर तब झारखंड पार्टी के इग्नी बेक ने जीत हासिल की थी. 1962 में निर्दल प्रत्याशी डेविड मुंजनी सांसद चुने गए. 1967 और 1971 में कांग्रेस फिर 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कब्जा किया. उसके बाद फिर कांग्रेस और भाजपा में सीट का रस्साकशी चलती रही. हालांकि, 2014 और 2019 में यहां से भाजपा के सुदर्शन भगत सांसद चुने गए थे. 2024 में यहां भाजपा, इंडी गठबंधन और निर्दलीय के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है.
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