चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल, 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र
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चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल, 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

चुनाव आयोग (ईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर अपने विचार रखने के लिए आयोग 12 अप्रैल को पत्र का जवाब दे सकता है.

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में भारत के निर्वाचन आयोग पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. यह सवाल विपक्षी पार्टियों के अलावा पूर्व नौकरशाह उठा रहे हैं. छियासठ पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को पत्र लिखकर आचार संहिता के उल्लंघन, खासतौर पर सत्तारूढ़ पार्टी की संलिप्तता वाले, कथित मामलों से निपटने में विफल रहने पर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और कामकाज पर चिंता जताई है.

चुनाव आयोग (ईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर अपने विचार रखने के लिए आयोग 12 अप्रैल को पत्र का जवाब दे सकता है.

पीएम मोदी पर बनी वेब सीरीज पर उठे सवाल
उन्होंने कहा, 'इस वक्त आयोग 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान की तैयारियों में व्यस्त है. इससे अलावा उसका ध्यान छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले के बाद की स्थिति पर भी है.' 

पूर्व नौकरशाहों ने जिन मामलों का उदाहरण दिया है उनमें, भारत के पहले उपग्रह भेदी मिसाइल (ए-सैट) के कामयाब परीक्षण, ‘मोदी: ए कॉमन मेन्स जर्नी’ वेब सीरीज को रिलीज करना और नमो टीवी चैनल को शुरू करने के संबंध में चुनाव आयोग की कार्रवाई करने में ‘सुस्ती’ के मामले शामिल हैं.

सीएम योगी के सेना पर दिए बयान पर सवाल
पूर्व अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताने का भी उदाहरण दिया है. नौकरशाहों ने कहा कि आयोग द्वारा इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत थी लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हल्की फटकार ही लगाई.

पत्र में कहा गया है कि हम अपने इस गहरे रोष को व्यक्त करने के लिए आपको पत्र लिख रहे हैं कि भारत का चुनाव आयोग, जिसका बड़ी चुनौतियों और जटिलताओं के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का एक लंबा और सम्मानजनक रिकॉर्ड रहा है, वह आज विश्वसनीयता के संकट से जूझ रहा है. 

पत्र में लोकतंत्र पर खतरे की बात कही गई
पत्र में कहा गया है कि समझा जाता है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और कार्यक्षमता से आज समझौता किया गया है. इसके कारण चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा है जो भारतीय लोकतंत्र की नींव है.

पत्र में कहा गया है, माननीय राष्ट्रपति जी हम चुनाव आयोग के कमजोर आचरण से बेहद चिंतित हैं जिसने संवैधानिक निकाय की विश्वसनीयता को सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. चुनाव आयोग में लोगों का भरोसा जरा सा भी डिगने के हमारे लोकतंत्र के भविष्य के लिए काफी गंभीर परिणाम होंगे. हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग स्थिति की गंभीरता को समझेगा.

पत्र लिखने वालों में नजीब जंग भी शामिल
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव सलाहुद्दीन अहमद, पंजाब के पूर्व महानिदेशक जुलियो रिबेरो, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग और पुणे पुलिस के पूर्व आयुक्त मीरन भोरवांकर शामिल हैं.

मोदी की ओर से ए-सैट परीक्षण की सफलता का ऐलान करने के संबंध में पत्र में लिखा है कि देश तत्काल ऐसे किसी सुरक्षा खतरे का सामना नहीं कर रहा था, जिसके लिए सार्वजनिक घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री को आना पड़े जो खुद एक चुनाव उम्मीदवार हैं.

पुलिस अफसरों के तबादले पर उठे सवाल
पत्र में कहा गया है कि विशुद्ध रूप से तकनीकी आधार पर यह घोषणा सार्वजनिक प्रसारण सेवा पर नहीं की गई थी. आयोग ने कहा कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ. हालांकि, हमें लगता है कि चुनाव की घोषणा के बाद सरकार की उपलब्धियों का इस तरह से प्रचार करना, शिष्टाचार के गंभीर उल्लंघन के बराबर है और सत्तारूढ़ पार्टी को अनुचित प्रचार का मौका देता है और चुनाव आयोग का निर्णय निष्पक्षता के अपेक्षित मानकों पर खरा नहीं उतरता है.

उन्होंने आंध्र प्रदेश में शीर्ष तीन पुलिस अधिकारियों और मुख्य सचिव तथा पश्चिम बंगाल में चार शीर्ष पुलिस अधिकारियों के तबादले का मामला भी उठाया.

पत्र में कहा गया है कि तमिलनाडु में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है, जहां वर्तमान पुलिस महानिदेशक की गुटखा घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा है जबकि उन्हें पद से हटाने के लिए तमिलनाडु के विपक्षी दल बार-बार अपील कर रहे हैं.

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