लोकसभा चुनाव 2019: वाराणसी की वह 2 विधानसभा, जिसने अपना दल और BJP का गठबंधन करा दिया
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लोकसभा चुनाव 2019: वाराणसी की वह 2 विधानसभा, जिसने अपना दल और BJP का गठबंधन करा दिया

वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा आती हैं. शहरी इलाके में 3 विधानसभा हैं और ग्रामीण की 2 विधानसभा. वाराणसी ग्रामीण की 2 विधानसभा- रोहणिया और सेवापुरी पर अपना दल का वर्चस्व था.

लोकसभा चुनाव 2019: वाराणसी की वह 2 विधानसभा, जिसने अपना दल और BJP का गठबंधन करा दिया

नई दिल्‍ली: 2014 लोकसभा चुनाव में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी को बीजेपी ने अपना पीएम उम्मीदवार घोषित किया. उस समय उन्होंने अमित शाह को यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया गया. इसी बीच अमित शाह ने यूपी के भ्रमण की शुरूआत की और मोदी के लिए यूपी में लोकसभा सीट की तलाश भी की. अमित शाह ने नरेन्द्र मोदी के लिए यूपी में बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी को चुना. काशी से नरेन्द्र मोदी को लोकसभा प्रत्याशी बनाने से पहले शाह ने एक एक चीज़ का आकलन बेहद ही बारीकी से किया. जिसमें बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड से लेकर यूपी का खाटी जातीय समीकरण शामिल था.

आपको बता दें कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा आती हैं. शहरी इलाके में 3 विधानसभा हैं और ग्रामीण की 2 विधानसभा. वाराणसी ग्रामीण की 2 विधानसभा- रोहणिया और सेवापुरी पर अपना दल का वर्चस्व था. 2012 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी और अपना दल अलग अलग चुनाव लड़े थे. तब वाराणसी की रोहणिया विधानसभा सीट से अनुप्रिया पटेल को 57 हज़ार और अपना दल के ही नीलू रतन पटेल को सेवापुरी विधानसभा से 39 हज़ार वोट मिले थे. अगर इन दोनों ग्रामीण विधानसभा का वोट मिला दें तो ये लगभग 97 हज़ार वोट के आसपास आता है.

अमित शाह ने जब वाराणसी का सर्वे शुरू किया तो उन्हें पता चला कि अगर यूपी में अपना दल से गठबंधन होता है तो ना सिर्फ वाराणसी का जातीय समीकरण फिट होगा बल्कि पूर्वी और मध्य यूपी में कुर्मी वोट बैंक के बीच बीजेपी एक विशेष मैसेज देने में कामयाब हो जाएगी. वहीं अगर वाराणसी लोकसभा सीट पर कुर्मी जाति का वोट बैंक देखा जाए तो ये भी अच्छी ख़ासी संख्या में है. वाराणसी की इन 3 सीटों पर कुर्मी वोट बैंक की तादाद अच्‍छी है.

1. सेवापुरी विधानसभा-1 लाख 30 हज़ार
2. रोहणिया विधानसभा- 95 हज़ार
3. कैंट विधानसभा- 35 हज़ार

तो वाराणसी ग्रामीण की 2 विधानसभा में अपना दल के प्रभाव ने बीजेपी और अपना दल का 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन कराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल के कोटे में 2 लोकसभा सीट गई थी. पहली सीट मिर्ज़ापुर जहां से अनुप्रिया पटेल खुद सांसद हैं और दूसरी सीट प्रतापगढ़, जहां कुंवर हरिवंश सिंह अपना दल के सांसद चुने गए. हालांकि हरिवंश सिंह के तेवर अब बागी हो चुके हैं.

यूपी की राजनीति में कुर्मी वोट बैंक का अपना प्रभाव है. पूर्वी यूपी से लेकर मध्य यूपी तक कुर्मी वोट बैंक कई लोकसभा सीटों पर ठीकठाक हैं. पूरे यूपी में लगभग 4.5% कुर्मी मतदाता हैं, जो कि किसी की भी सरकार बनाने और बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. यूपी की इन लोकसभा सीटों पर कुर्मी मतदाता अपनी ताकत का एहसास समय समय पर कराता रहता है:

1. अंबेडकरनगर
2. श्रावस्ती
3. गोंडा
4. मिर्ज़ापुर
5. फूलपुर
6. सुल्तानपुर
7. बहराइच
8. बरेली
9. खीरी
10. प्रयागराज

इसीलिए हाल ही में जब अपना दल ने बीजेपी से आंखे तरेरनी शुरू की तो खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मोर्चा संभाला और शुक्रवार को दिल्ली में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपना दल व बीजेपी के गठबंधन का ऐलान किया. इस बार भी अपना दल यूपी में 2 ही लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी. पहली सीट मिर्ज़ापुर है और दूसरी सीट प्रतापगढ़, डुमरियागंज, फूलपुर, प्रयागराज, जौनपुर या फतेहपुर में से कोई एक सीट हो सकती है.

यूपी में अपना दल के 9 विधायक हैं और योगी सरकार में एक राज्य मंत्री भी अपना दल से है. यही नहीं बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल के पति व अपना दल के अध्यक्ष आशीष पटेल को यूपी से MLC भी बनाया. चुनाव आचार संहिता लगने से कुछ घंटे पहले ही योगी सरकार ने अपना दल के 9 कार्यकर्ताओं को यूपी में निगम व बोर्ड का अध्यक्ष, सदस्य बनाया, ताकि अपना दल को खुश रखा जा सके.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसीलिए बीजेपी के चाणक्य कहलाते हैं, क्योंकि उन्हें ये बखूबी पता है कि किस इलाके में किस से गठबंधन करने और किसको टिकट देने से बीजेपी जीत सकती है. वैसे भी सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन के बाद बीजेपी गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित पर पूरा फोकस कर रही है.

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