समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद भी ये सीट सपा के पाले में है.
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नई दिल्ली: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बदायूं एक मशहूर ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदायूं अहम भूमिका निभाता है. बदायूं लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाती है. पिछले 6 बार के लोकसभा चुनाव से यहां समाजवादी पार्टी की जीत होती रही है. उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से बड़े अंतर से जीते. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी
के गठबंधन के बाद भी ये सीट सपा के पाले में है.
2014 में क्या था आंकड़ा
साल 2014 में 17,69,145 लोगों ने वोट दिया था. इसमें 55 प्रतिशत पुरुष और 44 प्रतिशत महिलाओं ने की भागेदारी रही थी. पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने यहां एक तरफा जीत हासिल की थी. उन्हें करीब 48 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार को सिर्फ 32 प्रतिशत मत हासिल हुए थे. साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से करीब 6200 वोट नोटा में गए थे.
क्या है राजनीतिक इतिहास
बदायूं लोकसभा सीट से पहले सांसद कांग्रेस के बदन सिंह थे. साल 1962 और 1967 के चुनावों में यहां भारतीय जन संघ का बोलबाला रहा. साल 1971 में हार के बाद साल 1977 में फिर से जनसंघ को यहां से जीत नसीब हुई. वहीं, साल 1980 और 1984 दोनों ही चुनावों में यहां कांग्रेस को जीत मिली. साल 1989 में यहां से जनता दल ने कांग्रेस को मात दी. साल 1991 में यहां बीजेपी का खाता खुला और स्वामी चिन्मयानन्द यहां से सांसद चुने गए. साल 1996 से इस सीट पर समाजवादी पार्टी जीत कर आई. सलीम इकबाल शेरवानी 1996 से लगातार 4 बार इस सीट से जीते और उनके बाद मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेन्द्र यादव ने यहां से जीत हासिल कर संसद तक पहुंचे.