लोकसभा चुनाव 2019: कौशाम्बी में दूसरी BJP के सामने कमल खिलाने की चुनौती
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लोकसभा चुनाव 2019: कौशाम्बी में दूसरी BJP के सामने कमल खिलाने की चुनौती

साल 2014 में बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर पर जनता ने विश्वास किया. अनुसूचित जाति बाहुल्य इस संसदीय सीट से सपा और बसपा गठबंधन द्वारा संयुक्त रूप से उम्मीदवार उतारने पर मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है.

साल 2008 में परिसीमन के बाद कौशाम्बी सीट अस्तित्व में आई.

नई दिल्ली: बौद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्ध कौशाम्बी उत्तर प्रदेश राज्य की 50वीं लोकसभा सीट है. कौशाम्बी, बुद्ध काल की परम प्रसिद्ध नगरी, जो वत्स देश की राजधानी थी. उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. साल 2008 में पहली बार ये सीट पहली बार अस्तित्व में आई. साल 2014 में बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर पर जनता ने विश्वास किया. अनुसूचित जाति बाहुल्य इस संसदीय सीट से सपा और बसपा गठबंधन द्वारा संयुक्त रूप से उम्मीदवार उतारने पर मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है.

2014 में ये था आंकड़ा
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कौशाम्बी संसदीय सीट पर 52.38 फीसदी मतदान हुए थे. इस सीट पर बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर ने सपा के शैलेंद्र कुमार को मात दी थी. पिछले लोकसभा चुनाव में सपा दूसरे, बीएसपी तीसरे और कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी. बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर ने 3 लाख 31 हजार 724 वोट मिले थे. वहीं, सपा के शैलेंद्र कुमार को 2 लाख 88 हजार 824 जनता ने अपना मत दिया था.

 

क्या है राजनीतिक इतिहास
कौशाम्बी लोकसभा सीट का इतिहास कुछ ही सालों का है. साल 2008 में परिसीमन के बाद ये सीट अस्तित्व में आई. यह सीट शुरुआत से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर अभी तक दो ही बार चुनाव हुए हैं. इस सीट से एक बार सपा और एक बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. कौशाम्बी लोकसभा सीट पर पहली बार साल 2009 में लोकसभा चुनाव हुए थे और समाजवादी पार्टी के नेता शैलेन्द्र कुमार जीतकर सांसद बने थे. इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी से विनोद कुमार सोनकर उतरे और जीतकर संसद तक पहुंचे. 

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