कृष्णागिरि सीट पर पहली बार जीती एआईएडीएमके, इस बार कौन
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कृष्णागिरि सीट पर पहली बार जीती एआईएडीएमके, इस बार कौन

तमिलनाडु की कृष्णागिरि लोकसभा सीट नौवीं संसदीय सीट है. यहां पर अल्‍फांसो आम की फसल मुख्य रूप से होती है. यहां पर काले ग्रेनाइट चट्टानों का पहाड़ होने के कारण ही यहां का नाम कृष्‍णागिरी पड़ा. इसके अलावा यहां पर कृष्णागिरी बांध, तेली, अरूलमिगू मारगाथमबीगई चंद्र चूडेश्‍वर मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल भी हैं.

कृष्णागिरि सीट पर पहली बार जीती एआईएडीएमके, इस बार कौन

तमिलनाडु की कृष्णागिरि लोकसभा सीट नौवीं संसदीय सीट है. यहां पर अल्‍फांसो आम की फसल मुख्य रूप से होती है. यहां पर काले ग्रेनाइट चट्टानों का पहाड़ होने के कारण ही यहां का नाम कृष्‍णागिरी पड़ा. इसके अलावा यहां पर कृष्णागिरी बांध, तेली, अरूलमिगू मारगाथमबीगई चंद्र चूडेश्‍वर मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल भी हैं. पहले यह सीट तमिलनाडु के कोंगू नाडु क्षेत्र का हिस्‍सा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से AIADMK के के. अशोक कुमार को सफलता मिली थी. उन्होंने डीएमके के चिन्ना पी को रिकॉर्ड 206,591 मतों से हराया था. अशोक कुमार को यहां पर 480, 491, वोट मिले थे.

अशोक कुमार के प्रतिद्वंदी डीएमके उम्मीदवार को 273, 900 मत मिले थे. 2014 में कांग्रेस इस सीट पर 38885 वोट लेकर चौथे नंबर पर रही थी. चुनाव आयोग के के साल 2014 के आंकड़ों के अनुसार इस सीट पर कुल 13,79,957 मतदाता थे. इन मतदाताओं में से 7,05,468 पुरुष मतदाता थे, जबकि 6,74,489 महिला मतदाता थीं. कृष्णगिरि संसदीय क्षेत्र का मुख्यालय कृष्णगिरि शहर में है. 5,130 वर्ग किमी में फैले इस जिले के अंतर्गत 5 तालुका और 700 गांव आते हैं.

यहां पर 2014 में एआईएडीएमके के उम्मीदवार अशोक कुमार ने डीएमके प्रत्याशी चिन्ना पिलप्पा को हराकर जीत दर्ज की थी. कृष्णागिरि सीट पर 1971 से 1991 तक कांग्रेस का दबदबा रहा. शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर धीरे-धीरे डीएमके का प्रभाव बढ़ गया. 1999 से 2009 तक के चुनाव में यहां पर डीएमके प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा सजा. 2014 में एआईएडीएमके ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की है.

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