मैनपुरी लोकसभा सीट को मुलायम परिवार का लॉन्चिंग पैड भी कहा जाता है. परिवार के किसी भी मेंबर को राजनीति में डेब्यू करना होता होता है तो उसे इसी सीट से उतारा जाता है. परिवार से बाहर आज तक कोई भी नेता यहां से पार्टी टिकट पाने में कामयाब नहीं हुआ है. इस सीट से मुलायम सिंह यादव, उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव, पोते तेज प्रताप यादव, और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद रही हैं. मैनपुरी लोकसभा सीट को अगर समाजवादी पार्टी का सबसे बड़ा गढ़ कहा जाए तो कोई हर्ज नहीं होना चाहिए. पिछले 27 साल से इस सीट पर सपा का कब्जा बना हुआ है. मुलायम परिवार के लिए यह सबसे सुरक्षित सीट समझी जाती है. इस सीट पर सपा का जादू कुछ ऐसा है कि आज तक बीजेपी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है. यहां तक कि 2014 से देश में चल रही मोदी लहर के बावजूद बीजेपी इस सीट पर जीत से दूर ही रही है. इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1952 में हुए थे. उस वक्त इस सीट का नाम मैनपुरी जिला पूर्व हुआ करता था.मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में असेंबली की 5 सीटें आती हैं. इनमें करहल, भोगांव, मैनपुरी, किशनी मैनपुरी जिले में हैं. जबकि जसवंतनगर सीट इटावा जिले में है. अगर इस सीट के जातीय समीकरणों की बात की जाए तो यहां पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा कही जाती है. उनकी संख्या यहां पर करीब 3 लाख बताई जाती है. करीब डेढ़ लाख ठाकुर और इतने ही शाक्य समाज के लोग हैं. इनके अलावा सवा लाख ब्राह्मण, एक लाख लोधी राजपूत, एक लाख कुर्मी, एक लाख मुस्लिम और एक लाख वैश्य मतदाता बताए जाते हैं.
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