राडिया फोन टैपिंगः सुप्रीम कोर्ट में टाटा ने की सरकार की आलोचना
Advertisement

राडिया फोन टैपिंगः सुप्रीम कोर्ट में टाटा ने की सरकार की आलोचना

उच्चतम न्यायालय में आज उद्योगपति रतन टाटा के वकील ने नीरा राडिया के टेलीफोन टैपिंग में रिकॉर्ड की गयी बातचीत के अंश लीक होने की जांच के प्रति सरकार के रवैये को ढुलमुल बताते हुए उसकी आलोचना की। इस सुनवाई के दौरान न्यायालय में रतन टाटा खुद भी उपस्थित थे।

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में आज उद्योगपति रतन टाटा के वकील ने नीरा राडिया के टेलीफोन टैपिंग में रिकॉर्ड की गयी बातचीत के अंश लीक होने की जांच के प्रति सरकार के रवैये को ढुलमुल बताते हुए उसकी आलोचना की। इस सुनवाई के दौरान न्यायालय में रतन टाटा खुद भी उपस्थित थे।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की खंडपीठ के समक्ष रतन टाटा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत से यह सुनिश्चित करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि सरकारी एजेन्सियों द्वारा टैप की गयी बातचीत लीक नहीं हो और इसका दुरूपयोग नहीं होने पाए। साल्वे ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इन टेपों के विवरण की छानबीन के लिये एक स्वतंत्र समीक्षा समिति गठित की जाये जो इस बातचीत को संरक्षित करने या नष्ट करने के बारे में निर्णय करे। सिलेटी रंग के सूट में रतन टाटा सुबह 11 बजे न्यायालय पहुंचे और उन्होंने करीब दो घंटे तक बहस सुनी। इस दौरान साल्वे ने निजता के अधिकार की रक्षा पर जोर दिया।
बाद में टाटा संस ने एक बयान में कहा, रतन टाटा ने इस मामले में सिद्धांत रूप में यह याचिका दायर की है। उनका मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिये निजता का अधिकार महत्वपूर्ण है और वह इस मामले की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। साल्वे ने कहा कि एक स्वतंत्र समिति के गठन की आवश्यकता है क्योंकि टैप की गयी वार्ताओं की समीक्षा के लिये बनी समिति के अध्यक्षत कैबिनेट सचिव हैं जिनके लिए व्यस्तताओं के कारण देश भर में टेलीफोन टैपिंग के तमाम मामलों को देख पाना मुश्किल है।
साल्वे ने कहा कि इस लीक के स्रोत का पता लगाने के प्रति सरकार का रवैया उदासीनतापूर्ण है। सरकार ने बहुत ही सावधानी ने आयकर विभाग और टैपिंग करने वाले उसके अधिकारियों को बचाने के लिये सफाई दी है। वे खुद को क्लीन चिट देना चाहते हैं और उंगली सीबीआई की ओर उठा रहे हैं। साल्वे ने कहा, यह सूचना प्रकाश में आने के बाद सरकार ने क्या किया। सरकार में किसी न किसी को तो चिंतित होना चाहिए था। यदि इस तरह की सूचनाएं लीक हो सकती हैं तो फिर कुछ भी लीक हो सकता है।
पीठ इस तर्क से सहमत थी कि बहुत बड़ी संख्या में टेलीफोन वार्ताएं टैप की जा रही हैं। ऐसे में ऐसी अनेक समितियां गठित करने की जरूरत है जो सभी मामलों की समीक्षा कर सकें। साल्वे ने कहा कि टाटा की याचिका राडिया के साथ उनकी व्यक्तिगत बातचीत प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने के लिये नहीं बल्कि देश के नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा के लिये है।
उन्होंने कहा, इस पूर्णकालिक कार्य के लिये एक संस्था की आवश्यकता है, ऐसा करके ही ऐसे मामलों के लिये पर्याप्त समय दिया जा सकता है। मौजूदा माहौल में यही सर्वोत्तम है कि सरकार को समीक्षा समिति से बाहर रखा जाये। साल्वे ने कहा कि कारपोरेट जगत की तमाम हस्तियों के विभिन्न मीडिया घरानों में भागीदारी है और वे एक दूसरे से हिसाब चुकता करने के लिये इसका दुरूपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी और व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
साल्वे ने कहा कि ऐसी गतिविधियों का आडिट करने की जरूरत है ताकि लोगों के निजता के अधिकार की सही तरीके से रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि टेलीफोन टैप कराना सरकार की प्रवृत्ति है लेकिन निजता के अधिकार और विवरण प्रकाशित करने के मीडिया के अधिकार में संतुलन बनाना भी जरूरी है।
राडिया के टैप के संदर्भ में शीर्ष अदालत को सौंपी गयी सीबीआई की गोपनीय रिपोर्ट लीक होने की पृष्ठभूमि में जांच एजेन्सी ने कहा कि इस मामले की जांच की आवश्यकता है। जांच ब्यूरो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने कहा, इसकी जांच करनी होगी। दस्तावेज गोपनीय थे और सिर्फ न्यायाधीशों के लिए थे। यह न्यायालय की संपत्ति है। यह लीक नहीं होनी चाहिए थी। इसकी जांच करनी होगी। (एजेंसी)

Trending news