`सिंगूर भूमि मामले में स्थिति स्पष्ट करे टाटा मोटर्स`
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`सिंगूर भूमि मामले में स्थिति स्पष्ट करे टाटा मोटर्स`

सुप्रीम कोर्ट ने बदले हुए हालात में सिंगूर में भूमि के पट्टे पर अधिकार के बारे में टाटा मोटर्स को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है क्योंकि यह आटोमोबाइल कंपनी ने पहले ही अपना संयंत्र अन्यत्र ले जा चुकी है।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बदले हुए हालात में सिंगूर में भूमि के पट्टे पर अधिकार के बारे में टाटा मोटर्स को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है क्योंकि यह आटोमोबाइल कंपनी ने पहले ही अपना संयंत्र अन्यत्र ले जा चुकी है।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सिंगूर में कार निर्माण संयंत्र लगाने के लिये यह जमीन अधिग्रहीत की गयी थी। अब यह मकसद तो रहा नहीं क्योंकि आप पहले ही यहां से चले गए हैं। आप अब यह नहीं कह सकते कि इस जमीन में आपकी अभी भी दिलचस्पी है।
न्यायाधीशों ने कहा कि यह जमीन अब किसानों को वापस दी जानी चाहिए और हम पश्चिम बंगाल सरकार से भूमि अधिग्रहण के समय आपके द्वारा किए गए भुगतान की रकम लौटाने के लिए इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कह सकते हैं। न्याय के हित में हम समझते हैं कि यह ठीक रहेगा। न्यायाधीशों ने कहा कि वैसे भी न्यायालय को यह कहने का अधिकार है कि पट्टे का उद्देश्य निर्थक हो चुका है। न्यायलय ने इसके साथ ही टाटा मोटर्स को बदली हुई परिस्थितियों में इस जमीन पर अधिकार के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय सिंगूर भूमि अधिग्रहण कानून निरस्त करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने पिछले साल 22 जून को सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून, 2011 निरस्त करते हुए टाटा मोटर्स को 400 एकड़ भूमि पर दावा करने की अनुमति दे दी थी। उच्च न्यायालय ने टाटा मोटर्स की याचिका पर अपने फैसले में कहा था कि नैनो कार परियोजना के लिए टाटा मोटर्स को सिंगूर में पट्टे पर दी गई भूमि वापस लेने संबंधी कानून अवैध है क्योंकि इस पर राष्ट्रपति की संस्तुति नहीं दी गई थी। (एजेंसी)

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