30 साल की सरकारी नौकरी, वेतन सिर्फ 747 रुपये
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30 साल की सरकारी नौकरी, वेतन सिर्फ 747 रुपये

30 साल से एक महिला सरकार की सेवक है और उसका वेतन सर्फ 747 रुपए।

संजीव कुमार दुबे
सरकार की लालफीताशाही कभी-कभी ऐसे मुद्दों या फिर कहे तो उन कारणों को जन्म देती है जो सच में दुख का कारण बनते हैं। यह भले ही सरकार के लिए कोई ना कोई मामला भर होता है लेकिन किसी व्यक्ति विशेष के लिए यह मामला पीड़ा के रूप में जिंदगी भर तक उसके साथ रहता है। सरकारी विभागों में तो अनियमितता के मामले आपने हजारों सुने होंगे लेकिन एक महिला जो सरकारी नौकरी में है। 30 साल से एक महिला सरकार की सेवक है और उसका वेतन सर्फ 747 रुपए। आप यकीन नहीं कर पा रहे होंगे लेकिन ऐसा मामला राजस्थान के माउंटआबू का है जहां एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी निर्मला को 30 सालों से सिर्फ 747 रुपये का मासिक वेतन मिल रहा है। माउंटआबू के आर्युवेदिक चिकित्सालय में एक महिला कर्मचारी निर्मला देवी को सिर्फ महीने के 747 रुपये मिलते हैं। इसी विभाग में जहां कई कर्मचारियों की सैलरी 5 हजार से ऊपर है लेकिन निर्मला का वेतन 747 के आंकड़े को अभी तक पार नहीं कर पाया है।
राजस्थान के सिरोही जिले के माउंटआबू में चर्तुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करनेवाली एक महिला की वर्ष 1982 से मासिक वेतन सिर्फ 747 रुपए मिल रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि इस बात की शिकायत महिला प्रधानमंत्री और केंद्र-राज्य के आला मंत्रियों तक कर चुकी है लेकिन नतीजा सिफर रहा है। चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी निर्मला का यही कहना है कि अब मेरी नौकरी के सिर्फ 9 साल बचे है क्या मेरी नौकरी के रहते मुझे न्याय मिल पाएगा।
दरअसल तमाम दस्तावेजों की जांच-पड़ताल के आधार पर यह पता चला कि निर्मला का वेतन फिक्स किया ही नहीं गया और यह गड़बड़ी अबतक ठीक नहीं हो पाई है। निर्मला ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से भी कि लेकिन उन्हें अबतक न्याय नहीं मिल सका है। उनका वेतन वहीं है जो उन्हें पिछले 30 सालों से मिलता आ रहा है। वेतन निर्धारण शाखा के तहत किसी भी सरकारी नौकरी करनेवाले के वेतन को फिक्स यानी निर्धारित किया जाता है जो निर्मला के मामले में हुआ ही नहीं।

निर्मला देवी को मिलते है 747 रुपए महीने यानी एक साल में लगभग 8400 रुपए। एक व्यक्ति को आजकल दैनिक मजदूरी मिलती है 139 रुपए । यह मजदूरी कुछ राज्य सरकारों ने ही तय की है जिसके तहत रोजाना की मजदूरी 139 रुपये है लेकिन निर्मला के हालात पर आप क्या कहेंगे जिसे एक महीने में 1000 रुपये भी नहीं मिलते है।
निर्मला अपना दुख किससे कहे। वह दर-दर की ठोकरे खा रही है। वह केंद्रीय मंत्रियों से मिली। अधिकारियों से मिली। नेताओं से मिली । भरोसा तो मिला। आदेश भी दिए गए लेकिन अमल आजतक नहीं हुआ।
कितनी दुखदाई और पीड़ादायक बात है कि इस महंगाई के दौर में 747 रुपये की कितनी अहमियत है यह सभी लोग जानते है। निर्मला बीमार है। भूखों मर रही है। एक महीने में 747 रुपये से कोई व्यक्ति अपना गुजारा कैसे चला पाएगा यह आप खुद समझ सकते हैं। उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं है। कहने को वह सरकारी मुलाजिम है लेकिन अपनी जिंदगी गरीबी और गुर्बत में बसर कर रही है। निर्मला के आंसू उसका दर्द बयां करते है लेकिन सरकारी अधिकारियों और नेताओं के पास भला इतनी फुर्सत कहां वह निर्मला की तकलीफ दूर कर इनके आंसू पोछ सकें।
लेकिन बीते सोमवार को निर्मला के लिए उम्मीद की किरण जगी है। निर्मला के मामले पर राजस्थान महिला आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष लाडकुमारी जैन ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह इस बात की पूरी कोशिश करेंगी कि निर्मला को 30 साल का बकाया पैसा मिलने के साथ उसके साथ पूरा न्याय हो और वेतन में विसंगति ठीक होकर उसे वहीं वेतन मिले जिसकी वह हकदार है।

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