खाद्य सुरक्षा में छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाए केंद्र : भाजपा
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खाद्य सुरक्षा में छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाए केंद्र : भाजपा

भाजपा ने केंद्र से खाद्य सुरक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाने की वकालत करते हुए आज कहा कि केंद्र सरकार केवल भूख मिटाने का नारा नहीं दे बल्कि इस मामले में ठोस पहल करे।

पटना : भाजपा ने केंद्र से खाद्य सुरक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाने की वकालत करते हुए आज कहा कि केंद्र सरकार केवल भूख मिटाने का नारा नहीं दे बल्कि इस मामले में ठोस पहल करे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने आज कहा कि भाजपा खाद्य सुरक्षा बिल के पक्ष में है, लेकिन यह बिल भूख और गरीबी मिटाओ नारा न बन जाए, इसलिए उनकी पार्टी सरकार से यह मांग करती है कि खाद्य सुरक्षा बिल में मौजूद त्रुटियों को दूर किया जाए।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर राज्यों, सहयोगी दलों एवं विपक्ष को विश्वास में ले और इस मामले में छत्तीसगढ मॉडल अपनाए। हुसैन ने कहा कि वर्तमान में जो खाद्य सुरक्षा बिल लाया जाने वाला है उससे बीपीएल और एपीएल का झगड़ा बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में इसके लिए पैमाना तय किया गया है उसमें बड़े भूस्वामियों जो कि कर दाता हैं, उन्हें छोड़कर सभी को शामिल किया गया है। हुसैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जो खाद्य सुरक्षा बिल लागू है उसमें 90 प्रतिशत लोग आच्छदित हो जाते हैं जबकि केंद्र की वर्तमान संप्रग सरकार जो खाद्य सुरक्षा बिल ला रही है उसमें 67 प्रतिशत आबादी ही आच्छदित हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्रति परिवार प्रति माह 60 किलोग्राम अनाज दिया जा रहा है जबकि केंद्र ने तीन रुपए प्रति किलोग्राम की दर से अनाज देने की बात कही है जिसे भाजपा एक रुपए प्रति किलोग्राम किए जाने की मांग कर रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस मांग का समर्थन किया कि खाद्य सुरक्षा बिल को लागू किए जाने में आने वाला आर्थिक बोझ राज्यों पर नहीं बल्कि केंद्र द्वारा वहन किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार केवल नारे देती है उन पर काम नहीं करती। इंदिरा गांधी ने 1980 में गरीबी हटाओ का नारा दिया था जिसे कांग्रेस ने आज तक पूरा नहीं किया। हुसैन ने कहा कि केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के सत्ता में आने पर मनरेगा योजना की शुरूआत की गई और उसके तहत सौ दिनों का रोजगार दिए जाने की बात कही गई थी पर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 42 दिन का ही रोजगार दिया जा सका है। (एजेंसी)

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