सीमा विवाद का हल निकालेंगे भारत-चीन, आपसी रिश्ते को दी मजबूती
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सीमा विवाद का हल निकालेंगे भारत-चीन, आपसी रिश्ते को दी मजबूती

लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद हाल ही में पैदा हुए गतिरोध से मिली ‘सीख’ पर संज्ञान लेते हुए भारत और चीन ने सोमवार को तय किया कि वे सीमा विवाद को जल्द हल करने के लिए आगे किए जाने वाले उपायों पर विचार करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके चीनी समकक्ष ली क्विंग के बीच दो दौर की वार्ता के दौरान इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी।

नई दिल्ली : लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद हाल ही में पैदा हुए गतिरोध से मिली ‘सीख’ पर संज्ञान लेते हुए भारत और चीन ने सोमवार को तय किया कि वे सीमा विवाद को जल्द हल करने के लिए आगे किए जाने वाले उपायों पर विचार करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके चीनी समकक्ष ली क्विंग के बीच दो दौर की वार्ता के दौरान इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी।
क्विंग के साथ वार्ता के दौरान सिंह ने सीमा विवाद, सीमा पारीय नदियों और व्यापार घाटे सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन को भारत की चिन्ताओं से स्पष्ट रूप से अवगत कराया।
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दोनों नेताओं ने माना कि उनकी रविवार रात और सोमवार सुबह की बातचीत ‘सुस्पष्ट’ और ‘खुल कर’ हुई है।
सिंह और ली ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में हालिया घटना से जो सीख मिली, उन्होंने उस पर विचार किया। सिंह ने ऐलान किया कि हमने अपने विशेष प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी दी है कि वे आगे किए जाने वाले उपायों पर विचार करें, जो सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
सिंह ने कहा कि हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि निष्पक्ष, यथोचित और परस्पर स्वीकार्य सीमा समझौते के लिए एक ढांचे पर जल्द सहमति के उद्देश्य से हमारे विशेष प्रतिनिधि बातचीत के लिए जल्द ही मुलाकात करेंगे।
ये बातचीत चीन के सैनिकों द्वारा लद्दाख की देपसांग घाटी में 19 किलोमीटर तक घुसपैठ की घटना के लगभग एक महीने बाद हुई है। इस घुसपैठ के बाद बना गतिरोध दो सप्ताह पहले ही खत्म हुआ है।
ली ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच कुछ समस्याएं हैं। दोनों ही पक्षों का मानना है कि जहां तक सीमा का सवाल है, दोनों पक्षों ने इसे लेकर समय के साथ कुछ सिद्धांत स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच हमने सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए मिलकर काम किया है। हमें विभिन्न मुद्दों को व्यापक नजरिये से देखने तथा उन पर परिपक्वता और समझदारी से बातचीत करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमें सीमा के क्षेत्रों में शांति बनाये रखने और सीमा पारीय नदी से जुड़े मुद्दों पर उचित ढंग से सहयोग करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि कल शाम से लेकर आज तक प्रधानमंत्री ली और उनकी परस्पर हितों और चिन्ताओं से जुड़े सभी मसलों पर व्यापक एवं स्पष्ट बातचीत हुई है।
सिंह ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच संबंधों का काफी महत्व है और हमारे शांतिपूर्ण विकास और सतत आर्थिक विकास के साथ-साथ हमारे क्षेत्र और दुनिया की स्थिरता और संपन्नता के लिए यह आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन दो प्राचीन स5यताओं वाले पड़ोसी हैं और सदियों से शांतिपूर्वक रहते आए हैं । हमारे मतभेद रहे लेकिन पिछले 25 साल के दौरान हमने परस्पर लाभ वाले संबंध निरंतर विकसित किए।
सिंह ने कहा कि लगातार विकास और हमारे संबंधों के विस्तार का आधार हमारी सीमाओं पर शांति का होना है। सीमा मुद्दे जल्द हल करने के इरादे से वह और ली सहमत हुए हैं कि सीमा पर शांति बरकरार रखी जाएगी।
चीन द्वारा ब्रहमपुत्र नदी पर बांध बनाने का संभवत: हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों से होकर बहने वाली नदियों के उपरी हिस्सों में चल रही गतिविधियों से नदी के निचले हिस्सों पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर भारत की चिन्ताओं से उन्होंने ली को अवगत कराया। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि दोनों पक्ष सीमा पारीय नदियों के मामले में सहयोग का विस्तार करने पर सहमत हो गये हैं।
एक संयुक्त बयान के मुताबिक सिंह और ली ने अपने अपने विशेष प्रतिनिधियों को उत्साहित करते हुए कहा कि वे वार्ता प्रक्रिया को आगे बढाएं और राजनीतिक मानदंडों एवं नीति-निर्देशक सिद्धांतों से जुड़े समझौते के अनुरूप निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए ढांचा तैयार करने की ओर बढें।
बाद में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई दो दौर की वार्ता के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए चीन स्थित भारतीय राजदूत एस जयशंकर ने कहा कि यह यात्रा एक ऐसी घटना (चीन की घुसपैठ) के बाद हो रही है, जो असामान्य है।
यह पूछने पर कि क्या वार्ता के बाद भारत को पता लगा कि घुसपैठ क्यों हुई, उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान स्वाभाविक तौर पर इस मुद्दे (सीमा) पर कुछ देर चर्चा हुई। उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान और संयुक्त बयान का उल्लेख किया, जिनमें कहा गया है कि भारत ने शांति के महत्व को रेखांकित किया है।
जयशंकर ने कहा कि सीमा मुद्दा पेचीदा है और दोनों नेताओं में इस बात पर सहमति थी कि इस मुद्दे की विस्तृत समीक्षा करनी है और यह काम संबद्ध विशेष प्रतिनिधियों पर छोडा गया है।
उधर, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री ली को अपने इस नजरिये से अवगत कराया है कि चीन और भारत का उत्थान दुनिया के लिए अच्छा है और दुनिया के पास दोनों देशों की जनता की विकास संबंधी आकांक्षाओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त जगह है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे हकीकत बनाने के लिए यह बात महत्वपूर्ण है कि हमारे देशों की जनता के बीच तालमेल विकसित हो। हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि दोनों पक्षों को परस्पर विश्वास मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए ताकि अधिक सहयोग संभव हो। उन्होंने कहा कि सहयोग के कई क्षेत्र हैं, जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है।
व्यापार घाटे को लेकर सिंह ने अपनी चिन्ताओं से ली को अवगत कराया और भारतीय निर्यात एवं निवेश के लिए चीन में अधिक बाजार मुहैया कराने की मांग की।
सिंह ने कहा कि उन्होंने भारत के बुनियादी ढांचा और विनिर्माण क्षेत्रों में उपलब्ध व्यापक अवसरों को देखते हुए चीन को अधिक सहभागिता के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाओं के तेजी से विकसित होने से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग के नए अवसर सामने आए हैं। द्विपक्षीय सामरिक आर्थिक वार्ताओं के जरिए इन अवसरों की पहचान की जाएगी।
प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने ली के साथ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बांग्लादेश, म्यामां, चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य देशों के साथ जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा विकास संबंधी संभावनाओं पर भी चर्चा की।
दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि खुली बहुपक्षीय कारोबार प्रणाली और संरक्षणवाद से निपटने के मामलों में भारत और चीन के साझा हित हैं। दोनों देशों ने व्यापार, संस्कृति और जल संसाधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के आठ समझौतों पर आज दस्तखत किए।
बयान समाप्त करने से पहले सिंह ने कहा कि ली का स्वागत कर उन्हें काफी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उम्मीद जतायी कि दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और इसे नयी उंचाइयों तक पहुंचाने में ली का नेतृत्व दूरगामी भूमिका निभाएगा। (एजेंसी)

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