आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर जगन का लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा
Advertisement

आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर जगन का लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा

वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष एवं कडप्पा से सांसद वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे का विरोध करते हुए शनिवार को लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।

हैदराबाद : आंध्रप्रदेश के प्रस्तावित विभाजन पर कांग्रेस के ‘एकतरफा एवं मनमाना रवैये’ के खिलाफ वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी ने शनिवार को कडप्पा के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन राज्य के मुद्दे पर पार्टी के रुख को अभी उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है।
साथ ही जगन की मां और वाईएसआर कांग्रेस की मानद अध्यक्ष वाई. एस. विजया ने भी इस मुद्दे पर राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
जगन और विजया ने ‘खुले पत्र’ के माध्यम से अपने इस्तीफे की घोषणा की जिसे वाईएसआरसी ने शनिवार शाम जारी किया। पार्टी के सांसद मेकापती राजमोहन रेड्डी ने कहा कि दोनों इस्तीफा पत्रों को संबंधित सदनों के अध्यक्ष को ‘फैक्स’ कर दिया गया है।
वाईएसआरसी के सांसद मेकापती राजमोहन रेड्डी ने आज शाम संवाददाताओं से कहा, ‘जगन ने जेल के अधिकारियों के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष को इस्तीफा फैक्स किया। इसे डाक से भी भेजा जाएगा।’
पुलिवेंदुला विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाली विजया ने विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय को अपना इस्तीफा फैक्स किया। मेकापती ने कहा, ‘उनके इस्तीफे को विशेष संदेशवाहक से अध्यक्ष को भेजा जाएगा।’ लेकिन जगन और विजया ने राज्य के बंटवारे के मुद्दे पर वाईएसआरसी के रुख को स्पष्ट नहीं किया और वर्तमान स्थिति के लिए कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाले तेदेपा को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही उन्होंने बंटवारे से प्रभावित लोगों के साथ ‘एकजुटता’ भी दिखाई।
जगन और विजया ने अपने खुले पत्रों में कहा, ‘वास्तविकता पर गौर किए बिना आपके एकतरफा निर्णय से राज्य में अशांति छा गई है और उम्मीद है कि हमारे इस्तीफों से आपके सोचने की प्रक्रिया बदलेगी इसलिए विरोध में हम इस्तीफा दे रहे हैं।’
उन्होंने राज्य के मुद्दे को और जटिल करने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘नतीजों का परवाह किए बगैर राज्य के बंटवारे से जो करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं और अन्याय के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं, उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए हम अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं।’
राज्य के प्रस्तावित विभाजन के खिलाफ रायमासीमा और तटीय आंध्रप्रदेश के लोग विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति ने पिछले महीने अलग तेलंगाना राज्य के गठन का प्रस्ताव जब से पारित किया है तब से वहां आंदोलन चल रहा है।
राज्य के विभाजन को ‘अपनी पार्टी का मामला बनाने’ के लिए कांग्रेस पर प्रहार करते हुए वाईएसआरसी नेताओं ने पार्टी पर आरोप लगाए कि वह लोगों की भावनाओं का अनादर कर रही है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ए के एंटनी के नेतृत्व में चार सदस्यीय समिति की नियुक्ति के बजाए सरकारी समिति की नियुक्ति होनी चाहिए थी जो सभी संबंधित पक्षों का विचार जानती।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार को पहले लिखी गई हमारी चिट्ठी का सार था कि ऐसा समाधान निकाला जाए जो सभी पक्षों को स्वीकार्य हों और किसी भी क्षेत्र को हानि में नहीं डाला जाए।’
उन्होंने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार का मानना है कि विभाजन अनिवार्य है और कोई दूसरा विकल्प नहीं है तो तेलंगाना मुद्दा को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए था जिससे राजनीतिक दलों या नेताओं को व्यक्तिगत लाभ मिलते।’ (एजेंसी)

Trending news