देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री से उठेगा पर्दा?

पहले जो फरियादी थे वो अब मुजरिम भी हो सकते हैं। अब तक जो पर्दे के पीछे थे वो अब बेपर्दा हो सकते हैं। क्योंकि आरुषि मर्डर केस में आखिरी फैसले की घड़ी अब नजदीक आ गई है। आरुषि मर्डर केस का सच सामने आएगा।

क्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया
पहले जो फरियादी थे वो अब मुजरिम भी हो सकते हैं। अब तक जो पर्दे के पीछे थे वो अब बेपर्दा हो सकते हैं। क्योंकि आरुषि मर्डर केस में आखिरी फैसले की घड़ी अब नजदीक आ गई है। आरुषि मर्डर केस का सच सामने आएगा। आरुषि मर्डर केस पांच साल बाद आखिर अपने अहम मुकाम पर पहुंचने वाला है। आरुषि और हेमराज की हत्या के बाद कई उतार-चढ़ाव से गुजरता ये मामला आखिर अपनी तार्किक मंजिल की ओर पहुंचता दिखने लगा है क्योंकि सीबीआई की विशेष अदालत में इस केस की बहस आखिर पूरी हो गई है।
अदालत ने मामले पर फैसला सुनाने के लिए मुकर्रर की है 25 नवंबर की तारीख। आरोपी बने आरुषि के मां-बाप और सीबीआई के बीच चली इस कानूनी जंग में दोनों ओर की दलीलों को सुनने के बाद अब अदालत को सुनाना है अपना फैसला जिससे कि आरुषि के साथ ही घर के नौकर हेमराज की मौत का इंसाफ हो सके। हालांकि ये मामला इस फैसले के बाद ऊपर की अदालत में भी जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल आज भी यही है कि क्या आरुषि को इंसाफ़ मिलेगा?
और सबसे बड़ी बात तो ये कि क्या इस मर्डर मिस्ट्री से उठ सकेगा पर्दा? जांच एजेंसियों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों के पसीने छुड़ाने वाले आरुषि-हेमराज मर्डर केस की दशा और दिशा 25 नवंबर को तय हो जाएगी। सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री पर सबसे बड़ा फैसला, बस अब चंद कदम की दूरी पर है, लेकिन अहम सवाल ये है कि इस केस में अदालत का फैसला आखिर क्या होगा? क्या डॉक्टर राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार की बाकी की उम्र सलाखों के पीछे गुजरेगी?या फिर डॉक्टर राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार आरुषि मर्डर केस में बरी हो जाएंगे?
दोनों सवालों का जवाब काफी मुश्किल है, लेकिन अगर आरुषि-हेमराज की हत्या के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत तलवार दंपति के खिलाफ फैसला सुनाती है तो उस कहानी पर एक तरह से अदालत की मुहर लग जाएगी जो शुरू से ही तलवार दंपति को कठघरे में खड़ा करती रही है। क्योंकि अगर इस केस में अदालत तलवार दंपति को बरी करती है तो फिर वही सवाल उठेगा कि अगर ये दोनों बेकसूर हैं तो फिर कसूरवार कौन है? आरुषि और हेमराज का कातिल कौन है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर अदालत के फैसले के मद्देनजर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन जानकारों का मानना है कि इस केस में अब तलवार दंपति का बेदाग बच पाना तकरीबन नामुमकिन है।
परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई ने विशेष अदालत में आरुषि और हेमराज के कत्ल की रात की जो कहानी सुनाई है, वो सीधे-सीधे डॉक्टर राजेश तलवार को मुख्य आरोपी की भूमिका में खड़ा करती है और इस केस में नूपुर तलवार का किरदार वारदात को अंजाम देने में सहयोग करने और मौका-ए-वारदात से सबूत मिटाने में मदद करने का है।
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक वारदात वाली रात डॉक्टर राजेश और नूपुर ने मिलकर आरुषि और हेमराज की लाशों को ठिकाने लगाया। हेमराज की लाश को चादर में लपेटकर दोनों सीढियों के रास्ते छत पर ले गए और वहां दोनों ने मिलकर धारदार हथियार से हेमराज का गला चीर दिया। इसके बाद वापस नीचे आकर आरुषि का गला भी धारदार हथियार से काट दिया गया। फिर दोनों ने मौके से खून आदि के निशान साफ करके सबूत मिटाए।
अगर फैसला सुनाते वक्त स्पेशल कोर्ट आरुषि हेमराज मर्डर को बयान करने वाली सीबीआई की इस कहानी को सच मानती है तो डॉक्टर राजेश को हत्या के आरोप में और नूपुर तलवार को वारदात में साथ देने और सबूत मिटाने के आरोप में सजा होना तकरीबन तय है। अगर सजा हुई तो जाहिर है आरुषि को सबसे ज्यादा चाहने वाले ही सलाखों के पीछे होंगे।
एक वक्त था जब दुनिया यही समझ रही थी कि किसी अनजान हत्यारे ने एक परिवार से उनकी लाडली को छीन लिया लेकिन सीबीआई की विशेष अदालत ने जब आरुषि के पिता राजेश तलवार और मां नूपुर तलवार के खिलाफ हत्या का केस चलाने का आदेश दिया तो इस पूरे केस की दिशा ही बदल गई। कल तक जो अदालत में फरियादी बनकर खड़े थे और नौकरों पर इल्जाम डालकर खुद पर लगने वाले आरोपों से बचना चाहते थे वो अब इसी केस में मुल्जिम हैं और 25 नवंबर को होने वाला है उनकी किस्मत का फैसला।
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने तलवार दंपति की बेटी और डीपीएस नोएडा की छात्रा आरुषि औऱ उनके नौकर हेमराज की हत्या के सच तक पहुंचने के लिए क्या-क्या नहीं किया। फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने भी क़ातिल तक पहुंचने के लिए खूब हाथ-पांव मारे लेकिन सीबीआई का आरोप है कि खुद डॉक्टर राजेश और उनकी पत्नी नूपुर ने कत्ल की इस सनसनीखेज गुत्थी को जानबूझकर इस कदर उलझा दिया कि उसके बाद जांच एजेंसियों के लिए सबूत जुटा पाना और कातिल तक पहुंचना तकरीबन नामुमकिन हो हो गया।

16 मई 2008 की वो सनसनीखेज सुबह अब भी सबको याद होगी जब नोएडा सेक्टर 25 में जलवायु विहार के फ्लैट नंबर L-32 में मां-बाप के साथ रहने वाली 14 साल की आरुषि तलवार के क़त्ल की ख़बर आई थी। मौके पर पहुंची यूपी पुलिस ने राजेश और नूपुर तलवार के बयान के आधार पर हेमराज को आरुषि का क़ातिल ठहराया। शुरुआती जांच में पुलिस को भी यही लगा कि घर का नौकर हेमराज आरुषि की हत्या कर फ़रार हो गया है। लेकिन अगले ही दिन यानी 17 मई 2008 की सुबह नोएडा के एल-32 से जो ख़बर निकल कर आई उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। जिस शख्स को पुलिस क़ातिल मानकर ढूंढ़ रही थी उसी की यानी हेमराज की लाश उसी फ्लैट की छत पर कूलर के नीचे मिली थी।
हेमराज की लाश मिलने की ख़बर ने मानो देश में धमाका कर दिया। देश का मीडिया ही नहीं विदेशी मीडिया भी ये जानना चाहता था कि आखिर आरुषि और हेमराज का कौन है क़ातिल? हालांकि, 23 मई 2008 को नोएडा पुलिस ने डॉ राजेश तलवार पर आरुषि और हेमराज की हत्या का आरोप लगाते हुए उनको गिरफ्तार कर लिया लेकिन तलवार दंपत्ति ने इसी बीच सीबीआई जांच की मांग कर दी। हालांकि सीबीआई तक पहुंचने से पहले ही इस केस के ज्यादातर अहम सबूत नष्ट हो चुके थे।

मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने ऐसे कई गवाहों को अदालत में पेश किया जिनके बयान से आरुषि हेमराज मर्डर केस पर पड़ा पर्दा उठना शुरू हो गया। इसी बीच हेमराज का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर नरेश राज ने कोर्ट में एक ऐसा बयान दिया जो इशारा करता था कि हेमराज ने वारदात वाली रात सेक्स किया था। इस बयान से शुरू हुई अधूरी कहानी तब पूरी हो गई जब सीबीआई कोर्ट में नोएडा के पूर्व एसपी केके गौतम ने बयान दिया कि 16 मई 2008 को नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुशील चौधरी ने उन्हें फोन कर अपने दोस्त दिनेश तलवार की भतीजी की हत्या होने की जानकारी दी थी और पोस्टमार्टम जल्दी करवाने में मदद मांगी थी।
पोस्टमार्टम में आरुषि के साथ हुए सेक्स की बात छुपाने की भी साजिश रचे जाने की बात सुनवाई के दौरान सामने आई। इस खुलासे के बाद सारे सबूत हॉरर किलिंग की तरफ इशारा करने लगे। सीबीआई ने डॉ. राजेश तलवार के ड्राइवर उमेश को भी बतौर गवाह कोर्ट में पेश किया जिसने अदालत को बताया कि रात साढ़े आठ बजे उसने आरुषि, हेमराज के साथ राजेश और नूपुर तलवार को घर पर देखा था। इससे ये भी साफ हो गया कि वारदात वाली रात दोनों मकतूल के अलावा घर पर सिर्फ डॉ राजेश और नूपुर घर पर ही थे।
मई 2008 की रात को नोएडा के सेक्टर 25 के फ्लैट नंबर एल -32 में जो कुछ हुआ उसकी हकीकत अगली सुबह यानी 16 मई को जब सामने आई, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि ये मर्डर देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन जाएगी। सबसे पहले आरुषि के क़त्ल का इल्ज़ाम आया उसी के नौकर हेमराज़ पर लेकिन, शायद अगले ही दिन सबकुछ बदलने वाला था।

आरुषि का क़ातिल समझा जानेवाला हेमराज का शव उसी मकान की छत पर कूलर के नीचे पड़ा मिला। यानी एल-32 मकान में 15 मई की रात एक नहीं बल्कि दो-दो क़त्ल हुए थे। शुरुआत में इस डबल मर्डर की जांच जिम्मा संभाला यूपी पुलिस ने।

यूपी पुलिस ने आरुषि मर्डर केस की जांच शुरू की और 23 मई को आरुषि और हेमराज की हत्या के इल्ज़ाम में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। यूपी पुलिस की थ्योरी के मुताबिक राजेश ने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था और फिर इसी आवेश में उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। राजेश तलवार की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस ने जिस तरह से वारदात का खुलासा किया उसने पुलिस की जांच पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। वहीं खुद पर शिकंजा कसता देख तलवार दंपत्ति ने सीबीआई जांच की मांग कर दी।
31 मई 2008 को देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री का जिम्मा यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई के हवाले कर दिया गया। सीबीआई ने मामले को सुलझाने के लिए 25 तेजतर्रार लोगों की एक टीम बनाई और आरूषि-हेमराज मर्डर के क़ातिलों तक पहुंचने के लिए सीबीआई ने कई एंगल से जांच करनी शुरू कर दी।
सीबीआई के शक के दायरे में जो भी आया उनका नार्को टेस्ट करवाया गया जिसमे खुद डॉ राजेश और नूपुर तलवार भी थे, आखिरकार, सीबीआई ने राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा समेत उसके दोस्त विजय मंडल और तलवार दंपत्ति के करीबी अनीता दुर्रानी के नौकर राजकुमार को गिरफ्तार कर पूरे मामले का ख़ुलासा करने का दावा किया।

अपनी जांच में सीबीआई राजेश तलवार के खिलाफ़ कोई भी पुख्ता सुबूत नहीं जुटा पाई। लिहाजा कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। इस बीच जिस थ्योरी और सबूतों की बिना पर सीबीआई ने तीनों नौकरों को आरोपी बनाया ,था, वे सबूत भी अदालत में ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। सीबीआई मामले में चार्जशीट दाखिल करने में भी नाकाम रही थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि एक-एक कर तीनो नौकरों को ज़मानत मिल गई। एक वक्त ऐसा भी आया जब ये मर्डर मिस्ट्री एक डेड एंड मिस्ट्री लगने लगी। इस बीच लोग आरुषि और हेमराज को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी करते रहे। देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में सीबीआई की एक टीम नाकाम रही तो जांच का जिम्मा दूसरी टीम को सौंपा गया।
नई टीम ने भी मामले की जांच की और दिसंबर 2010 में कोर्ट में क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी। सीबीआई को जांच में वारदात वाली रात तलवार दंपति के घर में किसी बाहरी शख्स के आने या जाने के कोई सबूत नहीं मिले। मेन डोर और छत के दरवाज़ो पर ताला लगा हुआ था, जिसकी चाबी तलवार दंपति के पास थी, सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट में बताया कि क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई थी, सीबीआई की जांच में सीधे तौर पर डॉ राजेश तलवार को हत्यारा माना लेकिन सबूतों के अभाव में केस को बंद करने के लिए क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी।
गाज़ियाबाद की सीबीआई अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट माना और सीबीआई को तलवार दंपत्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कहा। मई 2012 में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट में तलवार दंपत्ति के खिलाफ हत्या, सबूतों से छेड़छाड़ और साज़िश रचने का आरोप तय किया।

केस की सुनवाई के दौरान सीबीआई अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि आरुषि हेमराज की हत्या तलवार दंपत्ति ने ही की है। सीबीआई ने कोर्ट में ये भी कहा कि राजेश तलवार ने आरुषि-हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था।

15 मई 2008 की रात फ्लैट नंबर एल-32 में जो कुछ हुआ, वो देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन गया। एक घर में दो-दो क़त्ल हुए। हत्याएं किसने और क्यों की, उस पर समय के साथ कई थ्योरी सामने आईं। केस की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने विशेष अदालत को बताया कि-15 मई 2008 की रात डॉ. राजेश तलवार अपनी पत्नी नुपूर तलवार के साथ अपने फ्लैट पर ही थे। रात को अचानक उन्हें घर के अंदर से कुछ आवाजें सुनाईं दीं। आवाजें सुनकर राजेश तलवार सबसे पहले हेमराज के कमरे में गए, लेकिन, हेमराज अपने कमरे में नहीं था, लेकिन, वहां राजेश तलवार की दो गोल्फ स्टिक रखी हुई थी। राजेश तलवार नें एक गोल्फ स्टिक उठाई और आरुषि के कमरे की तरफ गए। आवाज़े वहीं से आ रही थी, दरवाज़ा अंदर से बंद नहीं था राजेश तलवार ने धक्के से दरवाज़ा खोला। अंदर आरुषि और होमराज बिस्तर पर आपत्तिजनक हालत में थे।
बेटी को घर के नौकर के साथ इस हालत में देखकर डॉ. राजेश तलवार ने आपा खो दिया। गुस्से में आगबबूला डॉ राजेश तलवार ने पहले गोल्फ स्टिक से हेमराज के सिर पर वार किया फिर आरुषि के माथे पर। दोनों की मौत हो गई। रात के सन्नाटे में हुई अवाज़ सुनकर डॉ. नूपुर तलवार की नींद खुल गई और वो आरुषि के कमरे में पहुंचीं। अपनी 14 साल की बेटी और नौकर हेमराज को इस हालत में देखकर डॉक्टर नूपुर को पूरा माजरा समझते देर नहीं लगी। इसके बाद तलवार दंपति पूरी रात सबूत मिटाने में जुटे रहे। इस बीच राजेश बिना पानी के ही वलेंटाइन व्हिस्की पीते रहे ताकि तनाव को कुछ कम किया जा सके।

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