सोनिया गांधी का गढ़ बचाने में जुटी कांग्रेस
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सोनिया गांधी का गढ़ बचाने में जुटी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांचों विधानसभा सीटें गवां चुकी कांग्रेस ने अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ को बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत शुरू कर दी है। मकसद सिर्फ एक है, कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ के साथ आस-पास के संसदीय क्षेत्रों से पार्टी के जनाधार को खिसकने से बचाना।

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांचों विधानसभा सीटें गवां चुकी कांग्रेस ने अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ को बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत शुरू कर दी है। मकसद सिर्फ एक है, कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ के साथ आस-पास के संसदीय क्षेत्रों से पार्टी के जनाधार को खिसकने से बचाना।
कांग्रेस ने स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा को आगे कर संगठन को नए सिरे से खड़ा करना शुरू कर दिया है। संगठन को पुर्नगठित करने के साथ कुछ नए प्रयोग भी शुरू किए गए हैं। इससे संगठन में नए सिरे से रक्त संचार होने की संभावना जताई जा रही है।
दो साल पहले विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कांग्रेस को अपना जनाधार खिसकता नजर आने लगा था। अब 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस को चिंता सताने लगी है। लंबे चिंतन और मंथन के बाद रायबरेली में संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का निर्णय लिया गया। संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की जिम्मेदारी कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा को दिया गया।
प्रियंका ने पंचायत स्तर से लेकर जिले स्तर तक संगठन को नए सिरे से खड़ा किया। शहर को छोड़कर जिले के पांचों नगर पंचायतों में संगठन तैयार हो चुका है। संगठन के नए पदाधिकारियों को दो चरणों में प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्रशिक्षण के दौरान कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं ने जनता से जुड़ने के लिए कई टिप्स दिए हैं। इसी के साथ कुछ नए प्रयोग शुरू करने का निर्णय लिया गया। कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया गया कि ब्लाक कमेटी की संस्तुति पर केंद्र सरकार द्वारा जिले में कराए जाने वाले विकास कार्यो को स्वीकृति प्रदान की जाएगी। इस निर्णय ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नया जोश प्रदान किया है। संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कवायद पायलट परियोजना के रूप में शुरू की गई है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पायलट योजना को पूरे देश में लागू करने की योजना है। फिलहाल राहुल गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट मिशन 2014 की सफलता के लिए पदाधिकारियों को संसाधनों से लैस किया जा रहा है, ताकि वे पार्टी और जनता के बीच सेतु का कार्य कर लोकसभा चुनाव में पार्टी का परचम लहराने में बेहतर भूमिका अदा कर सकें। (एजेंसी)

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