सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल-गंगा सफाई को लेकर तत्‍काल कदम क्‍यों नहीं उठाए जा रहे
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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल-गंगा सफाई को लेकर तत्‍काल कदम क्‍यों नहीं उठाए जा रहे

नरेंद्र मोदी सरकार को गंगा की सफाई के बारे में उसके चुनाव घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल किया कि इस संबंध में तत्काल आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर 2500 किलोमीटर लंबी इस पवित्र नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की कार्ययोजना का खाका पेश करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल-गंगा सफाई को लेकर तत्‍काल कदम क्‍यों नहीं उठाए जा रहे

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार को गंगा की सफाई के बारे में उसके चुनाव घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल किया कि इस संबंध में तत्काल आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर 2500 किलोमीटर लंबी इस पवित्र नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की कार्ययोजना का खाका पेश करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि गंगा की सफाई बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और इसे गति प्रदान करने की आवश्यकता है। न्यायाधीशों ने गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के भाजपा के चुनाव पूर्व वायदे का जिक्र करते हुए सवाल किया कि क्या आप गंगा नदी को बचा रहे हैं? यह तो आपके चुनाव घोषणा पत्र में भी था। आप इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं? सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने इस मामले में कुछ और वक्त देने का अनुरोध करते हुये कहा कि यह मसला जल संसाधन, नदी विकास और गंगा नवीनीकरण मंत्रालय को दिया गया है जो अभी तक पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पास था।

इस पर न्यायाधीशों ने सवाल किया कि क्या यह मसला अभी भी प्रमुख है या फिर इसे पीछे छोड़ दिया गया है? ये बहुत ही महत्वपूर्ण मसले हैं और इन्हें आगे ही रखना होगा। इसके साथ ही न्यायालय ने गंगा नदी की सफाई की कार्य योजना के बारे में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का केंद्र को निर्देश देते हुये इसकी सुनवाई स्थगित कर दी। न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि आप कहते थे कि इस मामले मे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अब क्या आपको कोई जल्दी नहीं है। आप दो मंत्रालयों के बीच इस मामले को घुमा रहे हैं।

न्यायालय ने कहा कि सफाई परियोजना चरणों में की जानी चाहिए क्योंकि एक बार में ऐसा नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने सुझाव दिया कि शुरू में सरकार को एक सौ किलोमीटर नदी की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद अगले हिस्से की सफाई का काम हाथ में लेना चाहिए। न्यायालय ने पांच अगस्त को केन्द्र सरकार के अनुरोध पर इसकी सुनवाई स्थगित कर दी थी। शीर्ष अदालत लंबे समय से गंगा नदी की सफाई के अभियान की निगरानी कर रहा है और इस संबंध में न्यायालय में अनेक आवेदन दायर किये जा चुके हैं। गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर शीर्ष अदालत 1985 से सुनवाई कर रहा है। गंगा सफाई अभियान को लेकर कई बार न्यायालय ने सरकार और प्रशासन की तीखी आलोचना भी की है।

गंगा नदी की सफाई के लिए 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने भी अति महत्वाकांक्षी ‘गंगा कार्य योजना’ शुरू की थी। देश में 2500 किलोमीटर लंबी गंगा नदी 29 बड़े शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 कस्बों से गुजरती है।

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