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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी की अवमानना याचिका पर नये सिरे से फैसला किया जाये। इस अधिकारी का आरोप है कि नीरज कुमार और अन्य ने उसके खिलाफ कथित रूप से झूठे आरोप लगाये जिसकी वजह से उन्हें 36 दिन सलाखों के पीछे गुजारने पड़े। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने अशोक कुमार अग्रवाल की अवमानना याचिका खारिज करते वक्त सभी संबंधित तथ्यों पर गौर नहीं किया। इसलिए उसे नये सिरे से इस पर फैसला करना चाहिए।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘हमारी सुविचारित राय है कि दोनों ही पक्षों ने तथ्यों और कानूनी मुद्दों को उठाया था, उच्च न्यायालय को सभी संबंधित तथ्यों, विशेषकर जब अपीलकर्ता (अग्रवाल) ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों ने अदालत को गुमराह करके उसकी आजादी को खतरे में डालकर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया, पर गौर करना चाहिए था।’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘परिणामस्वरूप हम फैसला और आदेश निरस्त करते हुये पक्षों के सभी तथ्यात्मक और कानूनी बिन्दुओं का जवाब देने के लिये मामला नये सिरे से फैसले हेतु उच्च न्यायालय वापस भेज रहे हैं।’ इस अधिकारी का कहना था कि जांच अधिकारियों ने महत्वपूर्ण तथ्य अदालत से छिपाये जिसकी वजह से उसे 36 दिन न्यायिक हिरासत में बिताने पड़े। शीर्ष अदालत ने अलग से अपने फैसले में अग्रवाल के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई वापस लेने का आदेश दिया है। अग्रवाल को 13 साल पहले निलंबित किया गया था। (एजेंसी)