Trending Photos
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने तथा लोकपाल की तरह ही इनकी नियुक्ति के लिये दायर याचिका पर सोमवार को केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया। लोकपाल की नियुक्ति के आवेदन मंगाने के लिये विज्ञापन प्रकाशित हुये हैं।
प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति के लिये सतर्कता मामलों के बारे में न्यूनतम जानकारी और अनुभव के बारे में अनिवार्य आहर्ताएं निर्धारित करने के सवाल पर भी सरकार से जवाब मांगा है। केन्द्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है।
यह याचिका दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर इन्टेग्रिटी, गवर्नन्स एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस ने दायर की है। इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने दलील दी कि मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और प्रतिपक्ष के नेता की समिति को बहुमत की बजाये सर्वसम्मति से की जानी चाहिए। इस संगठन के अनुसार लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के प्रावधानों और केन्द्रीय सतर्कता आयोग कानून, 2003 में तुलना करने पर पता चलता है कि मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों के चयन के लिये कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिये आवेदन आमंत्रिक करने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि यह भी पता नहीं है कि मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति के लिये किस तरह सूची तैयार होती है। याचिका में कहा गया है कि चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार को लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के प्रावधानों केतहत लोकपाल में अध्यक्ष और आठ सदस्यों की नियुक्ति के लिये अपनायी जाने वाली प्रक्रिया ही मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में भी अपनानी चाहिए।