विवादित बयान पर मुश्किल में फंसे आजम खान, चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
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विवादित बयान पर मुश्किल में फंसे आजम खान, चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

निर्वाचन आयोग ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान के उस कथित भाषण का ब्योरा तलब किया है जिसमें खान ने टिप्पणी की थी कि कारगिल में `केवल मुस्लिम सिपाहियों` के कारण देश को जीत मिली थी।

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नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के नेता एवं उत्तर प्रदेश में मंत्री आजम खान को कारगिल युद्ध के बारे में और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया। आयोग ने कहा है कि प्रथम दृष्टया खान ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है। आयोग ने खान से 11 अप्रैल तक यह बताने को कहा है कि अपनी टिप्पणी से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई शुरू की जाए।
चुनाव आयोग के नोटिस में कहा गया है, ‘आयोग आपको अपने बयान को लेकर 11 अप्रैल 2014 को शाम पांच बजे से पहले अपना पक्ष रखने के लिए एक मौका देता है, जिसमें नाकाम रहने पर चुनाव आयोग आपको बताए बगैर कोई फैसला करेगा।’
खान ने 7 अप्रैल को गायियाबाद में यह कह कर विवाद छेड़ दिया था कि 1999 में कारगिल युद्ध में ‘‘मुसलमान सैनिकों’’ ने भारत को जीत दिलाई थी। इससे पहले 5 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मंत्री ने रामपुर में एक चुनाव रैली को संबोधित करते हुए कथित रूप से चुनाव तंत्र के खिलाफ धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया था। उन्होंने 2 अप्रैल को रामपुर में मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। चुनाव आयोग ने नोटिस में आदर्श आचार संहिता के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र किया है। उन्होंने 2 अप्रैल को रामपुर में मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
लखनऊ में बुधवार को आजम ने कहा कि कारगिल पर मेरे बयान का स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के लिए मुस्लिमों के योगदान के बारे में बात करने में बुराई क्या है..हम क्यों नहीं इसके बारे में बात कर सकते हैं? क्यों मुस्लिम जवानों के बलिदान को नजरअंदाज किया गया। आजम ने मंगलवार को गाजियाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित तौर पर कहा था कि कारगिल में जीत हिन्दू सैनिकों के कारण नहीं, बल्कि मुस्लिम सैनिकों की वजह से मिली थी। आजम गाजियाबाद में सपा प्रत्याशी नाहिद हसन के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे थे।
इस बयान को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भजपा) ने आजम की खूब लानत मलामत की है। दोनों पार्टियों ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को कहा कि यह भारतीय सेना का और अपनी जान गंवाने वाले हमारे जवानों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान इस तरह के बयान तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की वोट बैंक की घोर राजनीति दर्शाती है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर सांप्रदायिक राजनीति का खतरनाक उदाहरण है। त्रिवेदी ने कहाकि यह चुनाव का समय है और निष्पक्ष चुनाव कराना आयोग की जवाबदेही है। सुरक्षा बलों की चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि कोई सुरक्षा बलों पर सांप्रदायिक राजनीति करता है तो उसका चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ सकता है।
भाजपा ने गाजियाबाद से पूर्व सेना अध्यक्ष वी. के. सिंह को उतारा है। उन्होंने कहा कि कारगिल की लड़ाई `भारतीयों` ने जीती थी। उन्होंने कहा कि कोई भी सेना में जाति, धर्म की बात करता है तो उसकी निंदा की जानी चाहिए। चाहे वह कोई भी हो लड़ाई भारतीयों ने जीती थी न कि किसी जाति या धर्म ने। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आजम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वरिष्ठ अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन से आजम के भाषण पर रिपोर्ट मांगी है। (एजेंसी)

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