नहीं भा रहा है फॉर्मूला वन का रोमांच
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नहीं भा रहा है फॉर्मूला वन का रोमांच

क्रिकेट के देश में रफ्तार का रोमांच नाम से मशहूर फॉर्मूला वन रेस का यह तीसरा सीजन है। पर भारत में इसकी लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर चढ़ने के बजाय नीचे की ओर गिरता जा रहा है।

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रामानुज सिंह

क्रिकेट के देश में रफ्तार का रोमांच नाम से मशहूर फॉर्मूला वन रेस का यह तीसरा सीजन है। पर भारत में इसकी लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर चढ़ने के बजाय नीचे की ओर गिरता जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है भारतीय दर्शकों ने इस खेल को सिरे खारिज कर दिया है। इसका अंदाजा टिकटों की बिक्री से लगाया जा सकता है। एक लाख दर्शकों की क्षमता वाले सर्किट में 2011 में पहली फॉर्मूला वन रेस में 95,000 दर्शक आए थे। पिछले साल 2012 में यह संख्या घटकर केवल 65,000 तक रह गई थी। लेकिन इस साल अभी तक सिर्फ 40,000 टिकट ही बिक सके हैं।

भारत जैसे विकासशील देश में जनता का मूड जाने बिना अमीरजादे के खेल फॉर्मूला वन को लाने वालों के लिए करारा तमाचा है। इसलिए अरबों खरबों खर्च कर किसी चीज को थोपने से पहले जनता से फीडबैक लेना चाहिए। अन्यथा अंजाम बुरा होता है। जो सबके सामने है। भारतीय उसी खेल में इंटरेस्ट दिखाते हैं जिसमें खुद की उपस्थिति का ऐहसास करते हैं।

खैर जो भी हो, करोड़ों डॉलर की लागत से बना ग्रेटर नोएडा का बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट फॉर्मूला वन रेस के लिए दुनिया में बेहतरीन ट्रैक माना जाता है। अगर आप रफ्तार के रोमांच को पसंद करते हैं तो अवश्य देखने जाइए, कहीं यह बेहतरीन अवसर आपके हाथ से न निकल जाए। हालांकि भारत के मोटर स्पोर्ट्स क्लबों के फेडरेशन के प्रमुख विकी चंडोक ने घटते दर्शकों के बावजूद इस रेस के सफल रहने की उम्मीद जताई है।

भारतीय फॉर्मूला वन रेस न सिर्फ दर्शकों की घटती संख्या की कमी झेल रही है बल्कि अर्थव्यवस्था के बुरे दौर का भी सामना करना पड़ रहा है एक तरफ रुपया लुढ़क रहा तो दूसरी तरफ सरकार इस खेल को लेकर बेपरवाह है। पैसों की व्यवस्था न होने के साथ ही भारतीय ड्राइवरों की भी कमी है। प्रमोटरों को हर साल करीब 4-4.5 करोड़ डॉलर लाइसेंस फीस के रूप में देने पड़ते हैं तो दूसरी तरफ भारत सरकार से रेस कराने की मंजूरी लेने में करीब 16 लाख डॉलर लगते हैं। विज्ञापनों और दूसरे तरीकों से होने वाली कमाई भी फॉर्मूला वन को चली जाती है। स्थानीय आयोजकों के पास कमाई का केवल एक ही जरिया होता है टिकटों की बिक्री उसमें भी काफी कमी आई है। इसके अलावा फॉर्मूला वन को खेल न मान कर सरकार ने वज्रपात कर दिया है।

इसका मतलब है कि आयोजकों को रेस से जुड़ी हर चीज पर टैक्स और कस्टम ड्यूटी देनी होगी। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने हर टिकट पर मनोरंजन कर लगाने का भी ऐलान कर दिया है। जो इसी साल से लागू हो गया है। इस बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारत में होने वाली फॉर्मूला वन रेस के दौरान होने वाली कमाई पर मनोरंजन कर चुकाने से जुड़ी एक जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ता की दलील है कि आयोजकों ने 2012 में मनोरंजन टैक्स नहीं चुकाया था और इसलिए रेस पर रोक लगा दी जानी चाहिए।

रेस के आयोजक बढ़ते ख़र्चों और कम आमदनी की वजह से पहले ही संघर्ष कर रहे हैं। ग्रेटर नोएडा का बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट दुनिया में फॉर्मूला वन रेस के उन गिने चुने ट्रैकों में से है जिन्हें सरकारी मदद नहीं मिलती है। यही वजह है कि इसे बनाने वाली कंपनी, जेपी ग्रुप, के लिए यह निवेश सस्ता नहीं पड़ा है। शुरुआती निवेश और इसे चलाने की लागत के अलावा उन्हें फॉर्मूला वन मैनेजमेंट को हर साल 4 करोड़ डॉलर बतौर लाइसेंस फीस देने होते हैं। इसके अलावा टीवी प्रसारण अधिकार और ट्रैक पर विज्ञापन से होने वाली आमदनी भी सीधे एफ़ वन मैनेजमेंट को मिलती है।

इन सारे खट्टे अनुभवों के बावजूद इंडियन ग्रां प्री यादगार होने वाला है। तीन बार के विश्व चैंपियन रेड बुल के सेबेस्टियन वेटल विश्व स्तरीय बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में 25 से 27 अक्टूबर तक होने वाली इंडियन ग्रां प्री फॉर्मूला वन रेस में नया इतिहास रचने उतरेंगे। 26 वर्षीय वेटल और उनकी टीम रेडबुल के पास भारत में ड्राइवर्स और कंसट्रकटर्स खिताब एक साथ जीतने का सुनहरा मौका रहेगा। वेटल जापान के सुजुका में पिछली जापान ग्रां प्री में जीत हासिल करने के बाद बुद्ध सर्किट में उतर रहे हैं जहां पिछले दो संस्करणों में उनकी बादशाहत रही है।

बुद्ध सर्किट के 5.14 किमी लंबे ट्रैक पर 60 लैप की रेस में वेटल ने गत वर्ष पोल पोजीशन से शुरुआत कर जीत हासिल की थी और वह उसी कामयाबी को दोहराने और इस ट्रैक पर खिताबी हैट्रिक बनाने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे। वेटल 27 अक्टूबर को जब इंडियन ग्रां प्री में मुख्य रेस के लिए उतरेंगे तो उनके सामने लगातार चार बार फॉर्मूला वन विश्व खिताब जीतने की उपलब्धि हासिल करने वाला सबसे युवा रेसर बनने का मौका रहेगा।

मौजूदा सत्र में अब तक 15 रेसों में चार अलग-अलग टीमों रेडबुल, लोटस, फेरारी और मर्सिडीज के रेसर रेस जीत चुके हैं। रेडबुल के वेटल ने इस सत्र में नौ जीत हासिल की हैं जबकि फेरारी के फर्नाडो अलोंसो और मर्सिडीज के निको रोसबर्ग दो-दो रेस जीत चुके हैं। लोटस के किमी रैकोनेन और मर्सिडीज के लुईस हेमिल्टन ने एक-एक रेस जीती है।

वेटल पिछली पांच रेस जीत चुके हैं और उनके हिस्से में कुल 35 करियर जीत दर्ज हो चुकी हैं। वेटल लगातार चौथी बार फॉर्मूला वन चैंपियन बनने की दहलीज पर खड़े हैं और उनके लिए यह कामयाबी सिर्फ औपचारिकता मात्र दिखाई दे रही है जिसे वह इंडियन ग्रां प्री में पूरा कर सकते हैं।

वेटल और दूसरे स्थान पर चल रहे फेरारी के फर्नाडो अलोंसो के बीच 90 अंकों का बड़ा फासला है और इस सत्र में चार रेस और अधिकतम 100 अंक बाकी हैं। वेटल यदि बुद्ध सर्किट में पांचवां स्थान भी हासिल कर लेते हैं तो उनके पास लगातार चौथा विश्व खिताब सुनिश्चित हो जाएगा।

अलोंसो यदि रविवार को रेस जीत जाते हैं तो भी वेटल को सिर्फ पांचवें स्थान तक रहने की जरूरत रहेगी। यदि कोई अनहोनी होती है अलोंसो को इस चैंपियनशिप को अबु धाबी तक जीवंत रखने के लिए टॉप दो रेसरों में आने की जरूरत होगी।

वेटल ने पिछली पांच रेस जीत ली हैं और यदि वह अगली चार रेस और जीत जाते हैं तो वह एक सत्र में लगातार नौ रेस जीतने के 60 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। इटली के अलबर्टो अस्कारी ने फेरारी के लिए 1952-53 के सत्र में लगातार नौ रेस जीती थीं।

रेड बुल के प्रिंसिपल क्रिस्टियन होर्नर का कहना है कि सेबेस्टियन नेसमर व्रेक के बाद से हर रेस जीती है जो एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। सत्र में अभी चार रेस बाकी हैं और उनकी टीम का लक्ष्य इस लय को अगली चार रेसों तक बनाये रखना है।

फॉर्मूला वन के इतिहास में केवल तीन अन्य ऐसे ड्राइवर हैं जिन्होंने चार बार यह खिताब जीता है। जर्मनी के माइकल शूमाकर सात बार, अर्जेंटीना के जुआन मैन्युअल फेंजियो ने पांच बार और फ्रांस के एलेन प्रास्ट ने चार बार यह खिताब जीता है। शूमाकर और फेंजियो इस खिताब को लगातार चार-चार बार जीत चुके हैं।

फॉर्मूला वन के इतिहास में वेटल छठे ऐसे ड्राइवर हैं जिन्होंने लगातार पांच रेस जीती हैं। उनसे पहले जर्मनी के माइकल शूमाकर ने 2004 में फेरारी के लिए लगातार सात रेस जीती थी। शूमाकर के नाम एक सत्र में 13 जीत का भी विश्व रिकॉर्ड हैं। यदि वेटल इस सत्र की शेष चार रेस जीत जाते हैं तो वह शूमाकर के इस रिकॉर्ड की भी बराबरी कर लेंगे। फॉर्मूला वन के भारतीय प्रशंसकों को अब वेटल के बुद्ध सर्किट में उतरने का इंतजार रहेगा जहां वह पिछले दो बार चैंपियन रह चुके हैं। वेटल ने इंडियन ग्रां प्री के पहले सत्र में अलोंसो को 8.4 सेकेंड से पीछे छोड़ा था और गत वर्ष दूसरे सत्र में उन्होंने पोल पोजिशन से शरूआत करते हुए जीत हासिल की थी।

बुद्ध सर्किट में इंडियन ग्रां प्री की शरूआत 2011 में हुई थी और 2013 इसका तीसरा साल है। लेकिन 2014 में इंडियन ग्रां प्री का आयोजन नहीं होगा जिसके कारण स्थानीय प्रशंसक वेटल को यहां इस बार खिताबी हैट्रिक लगाते हुए देखना चाहेंगे।

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