ICAR: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिकों से उत्पादन को बढ़ावा देने और समग्र कृषि क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए पशुपालन और मत्स्य पालन में अनुसंधान पर अधिक ध्यान केंद्रित करने को कहा.
Trending Photos
Farmers in India: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि संगठन, पशुधन, मत्स्य पालन और बागवानी में अनुसंधान पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगी ताकि इन तीन क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि आईसीएआर यह सुनिश्चित करने के लिए जलवायु-अनुकूल बीज किस्मों का विकास जारी रखेगी ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण फसल उत्पादन प्रभावित न हो. उन्होंने कहा कि कृषि एवं बागवानी फसलों की खेती में डिजिटल उपकरणों के उपयोग के साथ-साथ कटाई के बाद के प्रबंधन पर भी जोर दिया जाएगा. पाठक ने कहा कि अनुसंधान संस्थान निजी कंपनियों को संयुक्त अनुसंधान करने के लिए आमंत्रित करेगा.
कृषि सेक्टर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिकों से उत्पादन को बढ़ावा देने और समग्र कृषि क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए पशुपालन और मत्स्य पालन में अनुसंधान पर अधिक ध्यान केंद्रित करने को कहा. मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 95वें स्थापना दिवस के मौके पर डिजिटल तरीके से अपने संबोधन में यह बात कही.
पशुधन और मत्स्य
पाठक ने यहां पूसा परिसर में 95वें स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस (16-18 जुलाई) के मौके पर कहा, ‘‘हमारा शोध कार्य केवल फसलों तक ही सीमित नहीं है. पशुधन और मत्स्य पालन हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. देश भर में 15 संस्थान हैं जो केवल पशु विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और मत्स्य पालन के लिए 8 शोध संस्थान हैं.‘‘ पाठक ने कहा , ‘‘हाल के वर्षों में पशुधन, मत्स्य पालन और बागवानी क्षेत्रों की वृद्धि अधिक रही है. हम इन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि हम उच्च विकास दर हासिल कर सकें और किसानों को भी लाभ मिले.’’
कृषि क्षेत्र
आईसीएआर महानिदेशक ने कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र लगभग नौ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि पशुपालन और बागवानी क्षेत्रों की वृद्धि भी फसलों की तुलना में अधिक है. जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बारे में बात करते हुए पाठक ने कहा कि आईसीएआर ने 6,000 से अधिक बीज किस्में विकसित की हैं, जिनमें से लगभग 1,900 किस्में जलवायु अनुकूल हैं. उन्होंने कहा कि गेहूं की कुछ ऐसी किस्में हैं जो सर्दियों (जनवरी-फरवरी) के दौरान तापमान में अचानक वृद्धि की स्थिति से निपट सकती हैं.
आईसीएआर
पाठक ने कहा कि आईसीएआर ने धान और अन्य फसलों की कई किस्में विकसित की हैं जो सूखे और बाढ़ दोनों के लिए कारगर हैं. पाठक ने निजी कंपनियों के साथ सहयोग को मजबूत करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘हम निजी कंपनियों के साथ सहयोग कर रहे हैं. आईसीएआर प्रौद्योगिकी विकसित करती है और फिर हम निजी कंपनियों को प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण करने के लिए आमंत्रित करते हैं. अब, हम चाहते हैं कि आईसीएआर और निजी कंपनियों को परस्पर सहयोग करे तथा कृषि और संबद्ध क्षेत्र में समस्याओं को हल करने के लिए शुरुआत से ही शोध करे.’’
कृत्रिम बुद्धिमत्ता
आईसीएआर महानिदेशक ने कहा कि परिषद सटीक कृषि और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को भी बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि आईसीएआर संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) ने ड्रोन का उपयोग शुरू कर दिया है.
जरूर पढ़ें:
सिर्फ रजिस्ट्री कराने से नहीं बनते प्रॉपर्टी के मालिक, ये एक गलतफहमी अभी कर लें दूर | NSE ने निवेशकों को चेताया, यहां निवेश करने वाले हो जाएंगे 'कंगाल'; आज ही निकाल लें पैसा |