Investment के लिए कॉमन सेंस भी काफी जरूरी, इस किताब की 10 बातें सीख ली तो पैसे कमाने में होगी आसानी
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Investment के लिए कॉमन सेंस भी काफी जरूरी, इस किताब की 10 बातें सीख ली तो पैसे कमाने में होगी आसानी

The Little Book of Common Sense Investing जॉन सी. बोगल के जरिए लिखी गई एक अहम किताब है. इस किताब के जरिए निवेशकों को सही निवेश करने के लिए काफी गाइडेंस मिलती है. किताब निवेशकों को यह सिखाती है कि सफल इंवेस्टमेंट के लिए कॉमन सेंस की कितनी अहमियत है.

Investment के लिए कॉमन सेंस भी काफी जरूरी, इस किताब की 10 बातें सीख ली तो पैसे कमाने में होगी आसानी

Investment Tips: इंवेस्टिंग आइकॉन जॉन सी. बोगल का 16 जनवरी 2019 को निधन हो गया, लेकिन उन्होंने अपने पीछे एक प्रभावशाली विरासत छोड़ दी. उन्होंने म्यूचुअल फंड उद्योग में क्रांति ला दी और निवेशकों को सही राह दिखाने के लिए भी उन्होंने काफी काम किया. उन्होंने इंडेक्स फंड की शुरुआत की, जिसने निवेशकों को बहुत कम लागत पर शेयर बाजार में निवेश हासिल करने की इजाजत दी, जिससे उन्हें अपनी मेहनत की कमाई का अधिक हिस्सा अपनी जेब में रखने में मदद मिली. इसके साथ ही लोगों का मार्गदर्शन उनकी किताब भी काफी करती है. उनकी किताब बताती है कि क्यों कम फीस रिटर्न को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है.

द लिटिल बुक ऑफ कॉमन सेंस इन्वेस्टिंग
"द लिटिल बुक ऑफ कॉमन सेंस इन्वेस्टिंग" (The Little Book of Common Sense Investing) जॉन सी. बोगल के जरिए लिखी गई एक अहम किताब है. इस किताब के जरिए निवेशकों को सही निवेश करने के लिए काफी गाइडेंस मिलती है. किताब निवेशकों को यह सिखाती है कि सफल इंवेस्टमेंट के लिए कॉमन सेंस की कितनी अहमियत है. यहां हम कुछ प्वॉइंट्स में आपको बोगल के जरिए किताब में लिखे अपने विचार के सार के बारे में बताने जा रहे हैं...

1. इंडेक्स फंड की शक्ति: बोगल बताते हैं कि इंडेक्स फंड्स एक्टिव फंड्स की तुलना में एक अधिक प्रभावी निवेश विकल्प हैं. इंडेक्स फंड के माध्यम से निवेश करके निवेशकों को कई कंपनियों के निवेश पर प्राप्त होने वाले मार्केट के रिटर्न को हासिल करने का मौका मिलता है.

2. खर्च का महत्व: बोगल निवेश के खर्च की महत्वपूर्णता पर जोर देते हैं. वह बताते हैं कि निवेश के साथ जुड़े खर्च, जैसे प्रबंधन शुल्क और लेनदेन के खर्च, निवेश रिटर्न पर असर डाल सकते हैं. कम खर्च वाले इंडेक्स फंड्स का चयन करके, निवेशक अपनी कमाई की अधिकांश राशि बचा सकते हैं और समय के साथ ज्यादा पैसा कमा सकते हैं.

3. लंबे समय की दृष्टि: बोगल निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे अपने निवेश में लंबे समय के लिए धैर्य बनाए रखें. उन्हें समझाते हैं कि छोटी अवधियों में बाजार में काम करना अपना समय बर्बाद करने जैसा है. निवेशक लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट योजना पर ध्यान दें और बाजार की हलचल में न आएं.

4. निवेश संरचना का महत्व: बोगल के जरिए संबंधित मुद्दे के रूप में निवेश संरचना को महत्वपूर्ण बताया गया है. वह दर्शाते हैं कि सही निवेश संरचना चुनना निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है और अनुकूल निवेशक विकल्पों के माध्यम से उन्हें वित्तीय सुरक्षा और उच्च लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलता है.

5. निवेश सलाह का महत्व: बोगल निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे निवेश सलाह की महत्वपूर्णता को समझें और उच्च निवेशित प्रबंध धन का सही उपयोग करें. वे यह बताते हैं कि अच्छी निवेश सलाह से निवेशकों को हाई रिटर्न कमाने का मौका मिलता है और उन्हें निवेश करने के लिए सही संसाधनों को चुनने में मदद मिलती है.

6. निवेश की आवश्यकता: बोगल बताते हैं कि निवेश करना एक आवश्यकता है और निवेश करने का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है. वह समझाते हैं कि निवेश के बिना धन का विकास संभव नहीं होता है और निवेश करने से निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति को सुधार सकते हैं.

7. निवेश की साधारणता: बोगल के जरिए निवेश की साधारणता पर विशेष बल दिया जाता है. उन्हें समझाया गया है कि साधारण और सरल निवेश प्रतिक्रिया का उपयोग करके, निवेशक अपनी पोर्टफोलियो को संतुलित रख सकते हैं और निवेश के फैसले लेने में आसानी बढ़ा सकते हैं.

8. पुरानी योजना पर ध्यान दें: बोगल निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे अपनी पुरानी निवेश योजना पर ध्यान केंद्रित करें और निवेश करने के लिए धैर्यपूर्वक रहें. वे यह बताते हैं कि निवेश को बदलने के चक्र में फंसने से निवेशक अपने निवेश के फायदे को खो सकते हैं.

9. अधिकारी और शेयरधारक: बोगल निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे निवेश करने के लिए अधिकारी और शेयरधारक के रूप में व्यक्तियों को चुनें. वे दिखाते हैं कि विभिन्न वित्तीय इंस्ट्रूमेंट के साथ अधिकारी और शेयरधारक के रूप में निवेश करने से निवेशक को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता मिलती है.

10. निवेश दृष्टिकोण: बोगल के जरिए निवेशकों को अपने निवेश दृष्टिकोण के बारे में सोचने की सलाह दी जाती है. उन्हें यह समझाया जाता है कि निवेशक अपने निवेश के लक्ष्य, अवधि और रिस्क ताकत के आधार पर अपना निवेश दृष्टिकोण चुनें. निवेशक को अपने व्यक्तिगत आर्थिक लक्ष्यों के आधार पर निवेश करना चाहिए.

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