प्याज के बढ़ते दामों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया खास प्लान

केंद्र सरकार ने आखिरकार बाजार में प्याज की कमी की समस्या का हल निकाल लिया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को मंत्रिमंडल के एक बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक भारतीय बाजार के लिहाज से एक अच्छी खबर यह मिली कि सरकार घरेलू बाजार में प्याज की मात्रा बढ़ाने के लिए तकरीबन 1.2 लाख टन प्याज का आयात करने वाली है. इससे बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों पर भी ब्रेक लग सकता है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 21, 2019, 12:19 PM IST
    • बाढ़ के बाद उत्पादन में आई भारी गिरावट
    • इन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है प्याज की खेती
    • ब्राजील और इजरायल में अपनाए जाते हैं ये तरीके
प्याज के बढ़ते दामों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया खास प्लान

नई दिल्ली: सरकार से प्याज का आयात कराने का प्रस्ताव खाद्य व उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने रखा था. प्याज की कमी की वजह से इसके दाम लगातार बढ़ते चले जा रहे थे. इसे देखते हुए खाद्य व उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा कि प्याज की कमी को दूर करने के लिए अन्य सरकारी मदद के अलावा इसके आयात कराने की भी जरूरत है. बुधवार को प्रस्ताव के चौथे ही दिन इसको मंजूरी मिल गई. प्याज की उपलब्धता बेहतर करने के लिहाज से सरकार ने निजी आयात को हरी झंडी दिखा दी है. दरअसल, यह जरूरी भी था. बाजार में प्याज की कीमत हर दिन बढ़ रही है. दिल्ली के बाजारों में प्याज 60-70 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि इसकी मात्रा बढ़ा कर सबकी पहुंच इस तक सुनिश्चित कराई जाए. 

बाढ़ के बाद उत्पादन में आई भारी गिरावट

साल 2019-20 में प्याज उत्पादन में तकरीबन 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. प्याज की खेती प्रभावित होने का कारण बाढ़ से फसल का प्रभावित होना बताया जा रहा है. हालांकि. सरकारी तंत्रों का प्याज के उत्पादन को अच्छे से स्टोर कर रख पाना भी बड़ी बाधा पैदा कर रहा है. उधर FICCI ने प्याज की आपूर्ति पर एक शोध किया था जिसकी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सरकार को प्याज के स्टोरेज और उत्पादन के लिए इजरायल और ब्राजील जैसे देशों का मॉडल अपनाने की सलाह दी है. प्याज के भाव को काबू करने की सलाहों के बीच फिक्की ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार के पास उतना प्याज है जिससे कि जरूरतें पूरी की जा सकें. लेकिन हमारे पास इस तरह की तकनीक और रखरखाव के तरीके नहीं हैं दूसरे देशों की तरह खास कर इजरायल और ब्राजील की तरह, ताकि हम इसे बचा कर रख सकें. 

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ब्राजील और इजरायल में अपनाए जाते हैं ये तरीके

फिक्की के मुताबिक सरकार को लंबे समय तक चलने वाले नुस्खों को आजमाना चाहिए. इजरायल में प्याज को खुले वेंटिलेशन वाले अन्नगार में रखना होगा जिसमें उचित मात्रा में हवा का आना-जाना होता रहे. इसके अलावा सस्ते और उचित खर्च के साथ प्याज का रखरखाव कम पैसों की लागत वाली फॉर्म गेट स्टोरेज में करना भी सही कदम होगा. ब्राजील में प्याज की स्टोरेज ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज कमरे में की जाती है जिसमें प्राकृतिक हवा भी सही मात्रा में मिल ही जाता है. जबकि भारत में भी कुछ नए स्टार्ट-अप्स जैसे कि Inficold Inc जैसी कंपनियों ने भी कूलिंग सिस्टम के साथ बहुस्तरीय उत्पादों के रखरखाव को फॉर्म बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इसमें ज्यादातर उन्हीं चीजों को रखा जा रहा है जो उत्पाद सड़ने लगते हैं. 

इन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है प्याज की खेती

भारत में प्याज की खेती ज्यादातर महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में होती है. तीनों राज्य मिलकर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में 60 फीसदी तक प्याज का उत्पादन करते हैं. इस साल भारी बारिश और बाढ़ से महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज की फसल बर्बाद हो गई. उत्पादन घट कर आधे के करीब आ गए. देश के विभिन्न राज्यों में जरूरतों के लिए भी कम ही प्याज रह गए. अब इसी बीच बड़े, छोटे और मझोले व्यापारियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए जमाखोरी शुरू कर दी. इससे प्याज की पहुंच बाजार में कम होती चली गई. प्याज के दाम बढ़ने लगे. लोगों की थाली से प्याज गायब होने लगा. सब्जियों के स्वाद बिगड़ने लगे. सरकारी तंत्रों को जैसे ही इस बात का अंदाजा हुआ तो आयकर विभाग ने मोर्चा संभाला और जमाखोरों की छानबीन में लग गई. 

 

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