भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 12 विधायकों ने बीजेपी के साथ खड़े होकर प्रदेश की सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया है और इससे कमलनाथ के होश उड़े हुए हैं. ये सियासी संग्राम मुख्यमंत्री कमलनाथ की सत्ता की जंग से ज्यादा राज्यसभा की तीन सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर है, जहां कांग्रेस-बीजेपी के बीच शह-मात का खेल चल रहा है और ज्योतिरादित्य सिंधिया शांत हैं क्योंकि बताया जा रहा है कि जिस तरीके से कर्नाटक में कांग्रेस के बागियों ने कांग्रेस की नैया डुबो दी थी, ठीक वैसे ही मध्यप्रदेश में उसके बागी विधायक लामबंद हो रहे हैं और सिंधिया ये पूरा खेल देख रहे हैं. कर्नाटक की तरह 9 विधायकों को इस्तीफा दिलवाकर भाजपा कांग्रेस सरकार गिरा सकती है.
सत्ता से ज्यादा राज्यसभा के लिये मारामारी
मध्य प्रदेश के कोटे से खाली हो रही तीन राज्यसभा सीटों में से दो बीजेपी की और एक कांग्रेस की है. अप्रैल में बीजेपी के प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. मौजूदा विधायकों के आंकड़ों के लेकर राज्यसभा की तीसरी सीट के लिए कांग्रेस-बीजेपी के बीच उठापटक शुरू हो गयी है. इस राजनीतिक उठापटक में जीत पाने में कांग्रेस के लिये संकट ज्यादा हैं क्योंकि उसके अपने नेता ही उसके रास्ते में कांटे बिछा रहे हैं.
26 मार्च को राज्यसभा की सीटों के लिये मतदान
जब कांग्रेस से अपने विधायक संभले नहीं संभल रहे तो कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगा दिया कि भाजपा उसके विधायकों 25 से 35 करोड़ रुपये का लालच दे रही है और विधायकों को बंधक बनाए हुए है. पहले ऐसी खबर आ रही थी कि कांग्रेस के कुल चार और चार निर्दलीय विधायक हरियाणा के गुरुग्राम स्थित एक होटल में ठहरे हुए हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक कुल 12 विधायक कमलनाथ सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे हैं.
नहीं मान रहे कांग्रेस के बागी
Madhya Pradesh Minister and independent MLA Pradeep Jaiswal: I am with the government of Kamal Nath till it is there. If in future, the government falls, my options will remain open considering the will of people of my constituency and for their development. pic.twitter.com/uzhWOZ0YZ3
— ANI (@ANI) March 4, 2020
गुरुग्राम के 5 स्टार होटल में जो विधायक ठहरे हुए हैं. उनमें बिसाहूलाल, हरदीपसिंह डंग, बैजनाथ कुशवाहा, सुरेन्द्र सिंह शेरा, रामबाई और संजीव कुशवाहा शामिल हैं. वहीं चार अन्य कांग्रेसी विधायकों को बेंगलुरु में ठहराया गया है. राजनीतिक सरगर्मी के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह दिल्ली में मौजूद हैं और बागी विधायकों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं.
राज्यसभा की एक सीट के लिए 58 विधायकों की जरूरत
राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 58 वोट प्रथम वरीयता में चाहिए. मौजूदा आंकड़ों के लिहाज से एक सीट के बाद कांग्रेस के पास 56 वोट रह जाएंगे, एक निर्दलीय विधायक सरकार में मंत्री हैं. इस तरह कांग्रेस के पास 57 विधायक हैं और उसे सिर्फ एक विधायक की जरूरत होगी. वहीं, बीजेपी अपने विधायकों के संख्या के आधार पर प्रथम वरीयता के आधार पर एक सीट तय है और उसे दूसरी सीट के लिए 49 वोट बचेंगे, जिसके लिए उसकी नजर कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों पर है.
12 विधायकों ने उड़ाई कमलनाथ की नींद
मध्य प्रदेश में पथरिया से बसपा के रमाबाई, भिंड से संजीव कुशवाहा अनूपपुर सीट से कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल, सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग, सुमावली से कांग्रेस विधायक ऐंदल सिंह कंसाना, मुरैना से कांग्रेस विधायक रघुराज कंसाना, दिमनी से कांग्रेस विधायक गिर्राज दंडोतिया, गोहद से कांग्रेस विधायक विधायक रणवीर जाटव, सपा विधायक राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ऐसे नेता हैं, जिनकी वजह से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं. ताजा जानकारी के अनुसार कुल 12 विधायक बगावत कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि ये सभी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं.
भाजपा को सत्ता और राज्यसभा के लिये मात्र 9 विधायकों की जरूरत
मध्य प्रदेश की सत्ता से कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिये बीजेपी को सिर्फ नौ विधायकों के सहयोग की जरूरत है. वहीं, राज्यसभा की दूसरी सीट जीतने के लिए बीजेपी को अपने विधायकों के छोड़कर 9 अतिरिक्त विधायकों के समर्थन की दरकरार है. कमलनाथ सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज आदिवासी विधायक बिसाहुलाल सिंह समेत दूसरे विधायकों से बीजेपी के रामपाल सिंह, नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, संजय पाठक संपर्क कर रहे हैं.
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