एमपी के बाद राजस्थानः गहलोत की नाव में ये लोग कर सकते हैं छेद

यह बातें हवा में नहीं कही जा रही हैं. इसके पीछे कई वाजिब वजहें भी हैं. पहली वजह तो यही है कि सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट में कभी बनी नहीं. बीच-बीच में कई नेताओं मंत्रियों और विधायकों के ऐसे बयान सामने आए हैं जो राजस्थान कांग्रेस सरकार की दशा-दिशा के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Mar 11, 2020, 08:06 PM IST
    • डिप्टी सीएम सचिन पायलट कई मौकों पर सरकार को घेर चुके हैं
    • निकाय चुनाव के दौरान पायलट और गहलोत सरकार के पक्ष खुलकर आमने-सामने आए थे.
एमपी के बाद राजस्थानः गहलोत की नाव में ये लोग कर सकते हैं छेद

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश का सियासी नाटक ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद इंटरवल तक पहुंच गया है. इसका क्लाइमैक्स मध्य प्रदेश में सरकार बनने के साथ पूरा होगा. हालांकि यह बाद की बात है, लेकिन इसी बीच आपको राजस्थान ले चलते हैं. सुन रहे हैं कि यहां भी एक सियासी फिल्म की शूटिंग जारी है और इस पर काम इतनी तेजी से चल रहा है कि जल्दी ही रिलीज भी हो सकती है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और उनके समर्थकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरे हैं. इस महाड्रामे के बाद राजस्थान से जिस तरह की बयानबाजियां सामने आ रही हैं, उन्हें देखकर कयास लग रहे हैं कि क्या अबकी बार गहलोत मुश्किल में पड़ सकते हैं. 

ऐसे कयास के पीछे की कई वजहें हैं
यह बातें हवा में नहीं कही जा रही हैं. इसके पीछे कई वाजिब वजहें भी हैं. पहली वजह तो यही है कि सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट में कभी बनी नहीं. पिछले साल कई दफा दोनों का गतिरोध मीडिया की सुर्खियां बना है और राजस्थान के लिए राजनीतिक संकट बनकर उभरा है.

सचिन पायलट कई बार अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं और उनके समर्थकों ने भी कहा था कि उनके क्षेत्रों में विकास कार्यों में अनदेखी की जा रही है. इसे लेकर काफी बवाल भी मचा था. बीच-बीच में कई नेताओं मंत्रियों और विधायकों के ऐसे बयान सामने आए हैं जो राजस्थान कांग्रेस सरकार की दशा-दिशा के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. किसने क्या कहा डालते हैं एक नजर-

विश्वेंद्र सिंहः सिंधिया को लेकर किए कई ट्वीट, दी शुभकामनाएं
इसी बात से अंदाजा लगा लीजिए, राजस्थान में क्या हालात हो सकते हैं. अशोक गहलोत सरकार में विश्वेंद्र सिंह पर्यटन मंत्री हैं. उन्होंने ट्वीट किया किया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का जाना हमारी कांग्रेस का नुकसान और भाजपा का फायदा है. उन्होंने इसके पहले व्यंग्यात्मक लगने वाले ट्वीट भी किए थे.

उनकी ओर से किए गए तीन ट्वीट यह बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में जल्दी ही राजस्थान में कांग्रेस पर एमपी जैसा संकट गहरा सकता है.

यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि विश्वेंद्र उस खेमे के मंत्री हैं जो ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठाते रहे हैं और सरकार पर अनसुनी का आरोप लगाते रहे हैं. यानी कि सचिन पायलट का खुला समर्थन करते आए हैं. खेमा आप समझ लीजिए. 

बीआर मीणाः सचिन पायलट को सीएम होना चाहिए था
बीआर मीणा टोडाभीम से कांग्रेस विधायक हैं और सचिन पायलट खेमे के माने जाते हैं. जून 2019 में जब राजस्थान में सियासी टकराव हुआ था तो इन्होंने खुलकर पायलट का समर्थन किया था और गहलोत की आलोचना की थी. कांग्रेस विधायक बी आर मीणा ने कहा था सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री होना चाहिए था और युवा चेहरे को दरकिनार करने की वजह से ही लोकसभा चुनाव में पार्टी को जनसमर्थन नहीं हासिल हुआ.

उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है और इसके लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर अपना नजरिया रखा था. 

राम नारायण मीणाः संभलने की दी थी चेतावनी
पीपल्दा से विधायक हैं राम नारायण मीणा. उन्होंने पिछले साल जुलाई में ही सरकार की अधोगति को लेकर संकेत कर दिया था साथ ही चेतावनी भी दी थी कि सरकार बचाने के लिए हमें सुधरना ही होगा. इस तरह उन्होंने सचिन पायलट और अशोक गहलोत व उनके खेमों के बीच जारी तकरार पर टिप्पणी की थी.

उन्होंने कहा था कि हम नहीं सुधरे तो जुलाई तक राजस्थान सरकार बर्खास्त हो जाएगी. कहा कि ऐसा ही चला तो संविधान की धारा 356 का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को बर्खास्त कर देंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की लीडरशिप खुद के स्वार्थ छोड़कर संगठन मजबूत करने पर ध्यान दे.

हालांकि यह बात उनके बागी होने की ओर संकेत तो नहीं करती है, लेकिन फिर भी अपना पक्ष चुनने को सभी स्वतंत्र हैं, क्या पता राम किसमें अपना नारायण देखें.

कांग्रेस वास्तविकता स्वीकार नहीं कर पा रही, दुखी मन से छोड़ी कांग्रेस: सिंधिया

रमेश मीणा और पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल
निकाय चुनाव के दौरान पायलट और गहलोत सरकार के पक्ष खुलकर आमने-सामने आए थे. पायलट का आरोप था कि गहलोत ने बिना कांग्रेस पार्टी को विश्वास में लिए नियम बनाया है कि पार्षद का चुनाव नहीं लड़ने वाला व्यक्ति भी मेयर और स्थानीय निकाय का प्रमुख बन सकता है.

उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खुलकर इस फैसले से असहमति जताई तो कई पार्टी नेता, यहां तक कि मंत्रियों ने भी उनका समर्थन किया. मंत्री रमेश मीणा और जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल ने पायलट का समर्थन किया.

सिंधिया के भाजपा में जाने से शिवराज गदगद, 'कमलनाथ सरकार से निराश है जनता'

गहलोक सरकार के खिलाफ सचिन पायलट के रहे हैं विरोधी तेवर
डिप्टी सीएम सचिन पायलट कई मौकों पर सरकार को घेर चुके हैं. कई बार उन्होंने अपनी ही सरकार में सुनवाई न होने का आरोप लगाया है. पिछले दिनों कोटा में हुई बच्चों की मौत पर उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया था. इसके अलाव नीतियों को लेकर भी वह अशोक गहलोत के फैसलों पर हमलावर रहे हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद अगर उनके हौसले कोई बड़ा कदम उठाने के लिए बुलंद होते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. दूसरी तरफ मंत्रियों और विधायकों की बयानबाजियां उनके पक्ष में शुरू से ताकत बनती दिख ही रही हैं. 

 

ट्रेंडिंग न्यूज़