नई दिल्ली: पुणे में कोरोना वायरस से निपटने के शानदार उपायों और प्रबंधन की चर्चा पूरे भारत में हो रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए पुणे ने बेहतरीन काम किया है. पुणे ने 35 किलोमीटर के दायरे को चिन्हित करके, उस दायरे में हर घर का कम्युनिटी वर्करों से सर्वे कराया.
इसके बाद जहां संभावित लक्षण मिले, उनको निगरानी में रखा. ये एक बेहतरीन फार्मूला है, जिस पर और भी प्रभावित जिले काम कर सकते हैं. इस फॉर्मूले की तारीफ हो रही है क्योंकि इसके कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं.
भीलवाड़ा का मॉडल भी रहा चर्चित
कोरोना वायरस को समाप्त करने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा में भी इसी तरह काम किया गया था जिसके शानदार परिणाम देखने को मिले और कोरोना के संक्रमण पर कुछ हद तक रोक लगाने में सफलता मिली.
भीलवाड़ा को लॉकडाउन करके घर घर कराया था सर्वे
आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरे भीलवाड़ा को लॉकडाउन करके घर-घर में सर्वे कर लोगों को चिन्हित किया गया था और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बेहतरीन कदम उठाए गए थे.
दरअसल इस तरह के किसी भी वायरस का 3 किलोमीटर का एरिया फोकल प्वाइंट होता है और 5 किलोमीटर का दायरा बफर जोन माना जाता है. इसके बाद तय करना होता है कि उस वायरस का किस तरह से इलाके में फैलाव है. इस आधार पर कोई भी एरिया का दायरा तय किया जा सकता है.
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पुणे मॉडल की स्वास्थ्य मंत्रालय ने की तारीफ
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र का पुणे सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में था. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पुणे का फार्मूला बेहद काम का साबित हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान देश के कई जिले कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बेहतरीन काम कर रहे हैं. सरकार के मंत्रालयों की ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि ऐसे ही प्रबंध उन सभी जगहों पर किये जायेंगे जहां कोरोना खतरनाक रूप बना रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय को जल्द स्थिति सामान्य होने की उम्मीद
कल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि बीते 24 घंटे में देश में 32 मौतें हुई हैं. मामले अभी भी तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन इनको कंट्रोल करने की दिशा में भी हम लोग तेजी से काम कर रहे हैं. सरकार ने बताया कि अच्छी बात यह है कि आज तक 8 अप्रैल तक 402 लोग ठीक हो कर घर भी जा चुके हैं.
गौरतलब है कि अब तक देश में 25500 वो लोग हैं जो तबलीगी और उनसे मिल चुके हैं. उन सबको आइडेंटीफाई किया गया है और उन्हें आइसोलेट कर दिया गया है. उन पर निगरानी रखी जा रही है. देशभर में राज्यों के साथ मिलकर केंद्र कई कदम उठा रहा है. अभी तक दो करोड़ से ज्यादा गरीब लोगों को 3000 करोड़ रुपए की राशि बांटी जा चुकी है.