नई दिल्ली: दुनिया में कोरोना वायरस को दस्तक दिए करीब छह महीने हो चले हैं. लेकिन इतने समय बाद भी अब तक इस वायरस की काट के लिए न तो अब तक कोई वैक्सीन बन पाई है और न ही कोई रामबाण दवा तैयार हो पाई है. और इसका नतीजा ये है कि 210 से ज्यादा देशों में ये महामारी पैर पसार चुकी है. करीब 65 लाख लोगों को ये वारयस संक्रमित कर चुका है तो वहीं पौने चार लाख लोगों को मौत के मुंह में धकेल चुका है.
स्वाइन फ्लू की दवा से कोरोना का संहार!
कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए कई मुल्कों में वैज्ञानिक लगातार जुटे हुए हैं. लैब में एक्सपर्ट्स दिन-रात सिर खपा रहे हैं लेकिन कोरोना महामारी के ठोस इलाज के लिए कोई सटीक विकल्प अभी तक उभर कर नहीं आया है. हालांकि अब तक बस जुगाड़ के भरोसे ही कोरोना संक्रमितों का इलाज हो रहा है. वो दवाइयां दी जा रही हैं जिसका इस्तेमाल दूसरी बीमारियां में इस्तेमाल की जाती रही हैं.
PERAMIVIR पर ICMR को ही लेना है फैसला
इसी कड़ी में स्वाइन फ्लू की दवा में उम्मीद की किरण नजर आई है. पेरामिविर नाम की दवा को कोरोना संक्रमितों के इलाज में भी प्रभावी माना जा रहा है, जिसका मुख्य रूप से इस्तेमाल H1N1 इन्फ्लूएंजा यानी स्वाइन फ्लू की बीमारी ठीक करे में किया जाता है. माना जा रहा है कि भारत में कोरोना के मरीजों के इलाज में पेरामिविर का इस्तेमाल करने की हरी झंडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR से मिल सकती है.
मलेरिया, इबोला की दवा का हो रहा है इस्तेमाल
पहले मलेरिया में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना संक्रमितों के लिए प्रभावी बताया गया. फिर इबोला बीमारी में दी जाने वाली दवा रेमडेसिविर से भी कोरोना के मरीजों को फायदा होने की बात सामने आई. और अब खुलासा हुआ है कि स्वाइन फ्लू की दवा पेरामिविर भी कोरोना से संक्रमित लोगों के लिए फायदेमंद है.
अब स्वाइन फ्लू की दवा से इलाज होने का दावा
स्वाइन फ्लू ने जब दुनिया भर में हाहाकार मचाया था तब एंटी वायरल दवा पेरामिविर बेहद कारगर साबित हुई थी. अब कोरोना के इस संक्रमण काल में इस दवा के इस्तेमाल की बात कही जा रही है.
स्वाइन फ्लू की दवा पेरामिविर को बाजार में रैपीवैब के नाम से जाना जाता है. अमेरिका की फार्मा कंपनी बायोक्रिस्ट पेरामिविर यानी रैपीवैब दवा को बनाती है. ये दवा संक्रमित कोशिका यानी सेल से वायरस को दूसरे सेल में जाने से रोकती है. साथ ही शरीर की नई सेल में वायरस के हमले को भी ये दवा बेहतर तरीके से रोकती है.
साल 2008 में शुरू किया गया था दवा का ट्रायल
पेरामिविर नाम की दवा का ट्रायल साल 2008 में शुरू किया गया था. ट्रायल के छह साल बाद 2014 में इस दवा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी FDA ने इस दवा पेरामिविर को मान्यता दी है. चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने भी इस दवा को मान्यता दी है.
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पेरामिविर दवा के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं. पेरामिविर के इस्तेमाल से डायरिया, कब्ज, तनाव, नींद नहीं आने की समस्या भी हो सकती है. इसलिए ये जरूरी है कि डॉक्टर की निगरानी में ही इस दवा का इस्तेमाल किया जाए. हालांकि भारत में इसके इस्तेमाल पर अंतिम फैसला ICMR को लेना है.
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