शयन करने जा रहे हैं भगवान विष्णु, 1 जुलाई से प्रारंभ हो रहा चातुर्मास

चार्तुमास में अनुशासित जीवन शैली का पालन करना चाहिए. ऋतु के अनुसार यह वर्षाकाल होता है. इस आधार पर भी आरोग्य के अनुसार खान-पान का ध्यान रखना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 30, 2020, 10:29 AM IST
    • इस बार चार्तुमास की अवधि लगभग 5 माह की रहेगी.
    • चार्तुमास में हरिकथा श्रवण और कथा-पूजन का आयोजन फलदायक होता है.
शयन करने जा रहे हैं भगवान विष्णु, 1 जुलाई से प्रारंभ हो रहा चातुर्मास

नई दिल्लीः लंबे समय तक धरती का कार्यभार संभालने के बाद अब भगवान विष्णु का विश्रामकाल आरंभ हो रहा है. 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु का शयन काल प्रारंभ हो जाएगा. इसके साथ चातुर्मास की शुरुआत होगी. अब चार माह तक विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे. 

चार्तुमास में नहीं किए जाते हैं शुभ कार्य
चार्तुमास में अनुशासित जीवन शैली का पालन करना चाहिए. ऋतु के अनुसार यह वर्षाकाल होता है. इस आधार पर भी आरोग्य के अनुसार खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, तथा निषेधपरक शीत खाद्य, बासी आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए. विवाह जैसे शुभकार्य निषेध होते है, लेकिन हरिकथा श्रवण और कथा-पूजन का आयोजन फलदायक होता है. 

इस बार विशेष है चातुर्मास
इस बार अधिकमास यानि मलमास भी है. जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चार्तुमास अधिक लंबा होता है.

इस कारण इस बार चार्तुमास की अवधि लगभग 5 माह की रहेगी. 25 नवंबर को देवशयनी एकादशी के मौके पर देव यानी भगवान विष्णु उठेंगे तो एक बार फिर शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे. 

भगवान शिव के विशेष प्रिय चातुर्मास
चातुर्मास में अधिष्ठाता देव शिव होते हैं. सावन मास का समय होने के कारण यह उनकी पूजा के विशेष समय है. वर्षाकाल होने से यह शिव जलाभिषेक का समय है और भगवान शिव को अतिप्रिय है. चातुर्मास में रुद्धाभिषेख, महामृत्युंजय का जाप आदि फलदायी होता है. 

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