बाढ़ में बह गया 'सुशासन'? बदलते रहे साल, बिहार का वही हाल!

बिहार में बाढ़ का कहर जारी है. बाढ़ की वजह से लाखों लोग प्रभावित हैं. गोपालगंज, मोतिहारी, खगड़िया, दरभंगा, छपरा बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कोसी कहर बरपा रही है. आधा दर्जन नदियां कहीं ना कहीं लाल निशान से ऊपर ही बह रही हैं. ऐसा पहली बार नहीं है, हर साल ऐसी ही बदइंतजामी के चलते बाढ़ का शिकार होता है बिहार..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 19, 2020, 02:56 PM IST
    • बिहार में बाढ़ की मार, शर्म करो सरकार!
    • बारिश में बिहार में डर लगता है...
    • बदलते रहे साल, बिहार का वही हाल!
बाढ़ में बह गया 'सुशासन'? बदलते रहे साल, बिहार का वही हाल!

पटना: बिहार बाढ़ का कहर झेल रहा है सैलाब सितम ढाह रहा है. दाने-दाने के लिये लोग मोहताज हो गये हैं. जो बचा है, उसे अपनी झोली में भर लेना चाहते है. अपनी गाय, बकरियों को कैसे इस सैलाब में छोड़कर जाएं. इसीलिये इन्हें भी हर हाल में बचाने की कोशिश है. करीब-करीब गले तक पानी में डूबा ये शख्स जिदगी बचाने की जद्दोजहद कर रहा है.

बदलते रहे साल, बिहार का वही हाल!

बाढ़ से बिहार बेहाल है. बर्बादी का पानी, जिंदगी की खुशियां बहाकर ले जा रहा है. इस पानी में हर तरफ बर्बादी नजर आ रही है. बाढ़ में सब कुछ बह गया है, जो रह गया उसे बचाने की कोशिश हो रही है.

बिहार में बाढ़ से कई जिलों में 3 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ की चपेट में है. गोपालगंज, मोतिहारी, खगड़िया, बगहा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, छपरा, सहरसा, सुपौल बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

दरभंगा में बाढ़ से दहशत का आलम

दरभंगा भी दर्द में है, बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है. आटा-चावल,दाल सब बह गये. जल में जिंदगी की जंग है. कमर तक पानी में डूबकर हर हाल में मंजिल तक पहुंचने की कोशिश है. जीना है तो जल से जीतना होगा.

गोपालगंज में पानी का भयानक तांडव

बाढ़ से बर्बादी गोपालगंज भी गमजदा हैं. कलामठी गांव, पीपरागंज गांव, सिपाहाखास गांव.. ऐसे ना जाने कितने गांव हैं. बर्बादी का दंश झेल रहे यहां के लोग की आंखे आपबीती बयां कर रही है. लोग अपने आशियाने छोड़ने छोड़ने को मजबूर हैं.

मोतिहारी के हजारों लोग हो हए बेघर

बिहार के मोतिहारी में भी हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. जल प्रलय के सताए हुए हैं. कहां जाएं? क्या करें? कैसे जीएं? हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है.

मुजफ्फरपुर में जल प्रलय से हर कोई मजबूर

बिहार का मुजफ्फरपुर दुनियाभर में रसीली लीचियों के लिये मशहूर है. लेकिन सैलाब के सितम में सब बर्बाद हो गया. जो अपने घरों में चैन से सोते थे. वो आज सड़क को बिस्तर बनाने पर मजबूर हैं, इनकी रात बहुत भारी है.

खगड़िया में भी उफान पर नदियां

खगड़िया के लोग भी कष्ट में हैं. जहां  कोशी, बागमती, गंडक और गंगा नदी उफान पर हैं. सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं को लेकर हो रही है. कई पशु तो अभी भी पानी में ही बंधे हुए हैं. लेकिन सैकडों लोग अपने गाय बैलों को लेकर पलायन कर रहे हैं.

फिर से बाढ़ की मार, शर्म करो सरकार!

बगहा और समस्तीपुर में भी बाढ़ से हाल बेहाल हैं. दर्जनों गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट चुका है. ये बिहार में बाढ़ की बर्बादी की कहानी है.  लेकिन इन सबके जिम्मेदारी और जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ सरकार की बनती है. हर साल ऐसा होता है कि बाढ़ आती है और सबकुछ तबाह करके चली जाती है. पिछली बार तो कई नेताजी लोग भी अपनी जान बचाते-बचाते फिर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद भी पुख्ता इंतजाम और तैयारियां नहीं की जाती हैं.

कहने के लिए जब चुनाव होते हैं तो पार्टियां और नेता जब कटोरा फैलाकर वोट की भीख मांगने आ जाते हैं. लेकिन जब काम करने की बारी आरी है तो दिखावे की बात होती है. जब ये समस्या हर साल की है, तो आखिर जितनी भी सरकारें आती हैं वो इसके लिए पहले से तैयार क्यों नहीं रहती है. हां, तैयारियां होती जरूर हैं लेकिन सिर्फ कागजों में और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए..

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बाढ़ से बिहार बेहाल है, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल में बाढ़ का कहर है तो, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और पूर्व चंपारण भी बाढ़ से प्रभावित है. कमला बलान, महानंदा नदी, बागमती और घाघरा नदी भी खतरे के निशान के पार है. इसे देखते हुए मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान में आज भारी बारिश का अलर्ट है.

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