इंदौरः साल 2020 फिल्म, कला-साहित्य की दुनिया के लिए गम ही गम लेकर आया है. खबर है कि कोरोना संक्रमित हुए मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे. 70 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया है. कोरोना संक्रमण की जद में आने के बाद वह इंदौर के अरबिंदो अस्तपाल में भर्ती थे.
मंगलवार को खुद शायर ने ट्वीट करके खुद को कोरोना होने की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कोरोना टेस्ट किया गया जो पॉजिटिव आया है. इसके साथ ही उन्होंने जल्द से जल्द ठीक होने के लिए दुआ की अपील की थी और कहा था कि मुझे या घरवालों को फोन न करें.
Urdu poet Rahat Indori (file pic) passes away at the hospital. He suffered two heart attacks today and could not be saved. He was admitted to hospital on Sunday, after testing positive for #COVID19. He had 60% pneumonia: Dr Vinod Bhandari, Sri Aurobindo Hospital pic.twitter.com/EIKZhPp702
— ANI (@ANI) August 11, 2020
दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
जानकारी के मुताबिक राहत इंदौरी का निधन इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुआ है. वह कोरोना से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. राहत को दिल की बीमारी और डायबिटीज थी. उनके डॉक्टर ने बताया था कि उन्हें दोनों फेफड़ों में निमोनिया था. सांस लेने में तकलीफ के चलते आईसीयू में रखा गया था. उनके बेटे ने भी कहा कि पिता को चार-पांच दिन से बेचैनी हो रही थी.
फिल्मोें में लिखे 22 गीत
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. उन्होंने बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू में एमए किया था. भोज यूनिवर्सिटी ने उन्हें उर्दू साहित्य में पीएचडी से सम्मानित किया था.राहत इंदौरी ने फिल्मों में 22 गीत लिखे इनमें मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर जैसी फिल्में शामिल हैं.
जब टिकटॉक पर मची धूम
साहित्यक और शायरी के मंचों पर खूब तालियां बटोरने वाले राहत साहब बीते साल काफी चर्चा में रहे थे, जब उनकी एक कविता-शायरी बुलाती है मगर जाने का नहीं काफी चर्चित हुई थी. इसे सोशल मीडिया पर नौजवानों ने खूब हाथों-हाथ लिया था और इसे खूब भुनाया भी था. टिकटॉक, ट्विटर और कई अलग प्लेटफॉर्म पर तो यह मीम कंटेंट बनकर उभरा था.
राहत इंदौरी उर्दू के मशहूर शायर होने के साथ ही बॉलीवुड के चर्चित संगीतकार थे. उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफतुल्लाह कुरैशी के घर पर हुआ था. वे एक कपड़ा मिल में काम करते थे. उनकी मां का नाम मकबूल उन निसा बेगम था. उन्होंने इंदौर के नूतन स्कूल से 10वीं की परीक्षा पूरी की.
इंदौरी पिछले करीब 45 सालों से मुशायरे और कवि सम्मेलनों की जान बने हुए थे. उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि उन्हें भारत ही नहीं दुनिया के अन्य हिस्सों से भी निमंत्रण मिलते रहते थे. वे मुशायरे और कवि सम्मेलनों के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल समेत कई देशों में जा चुके थे.
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