करोड़ों में है इस कबूतर की कीमत, खासियत जानकर रह जाएंगे दंग
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करोड़ों में है इस कबूतर की कीमत, खासियत जानकर रह जाएंगे दंग

 बेल्जियन प्रजाति का एक कबूतर 14.14 करोड़ रुपय की कीमत में बेचा गया है. इस कबूतर की खासियत जानकर आप दंग रह जाएंगे.

बेहद कीमती हैं ये कबूतर

नई दिल्ली: कबूतर दिखने में बेहद प्यारे होते हैं, लेकिन ये नॉर्मल से दिखने वाले कबूतरों की कीमत का आप अंदाजा भी नहीं पाएंगे. ये काफी महंगे होते हैं. ये सामान्य दिखने वाले कबूतर कोई आम कबूतर नहीं है. हाल ही में हुई एक नीलामी में इसे 14 करोड़ रुपयों से ज्यादा कीमत में खरीदा गया है. इस कबूतर का नाम है 'न्यू किम'. बेल्जियन प्रजाति का यह कबूतर 14.14 करोड़ रुपयों में बेचा गया है. जिसे के रईस चीनी ने बेल्जियम के हाले स्थित पीपा पीजन सेंटर में हुई नीलामी के दौरान खरीदा है. इस कबूतर को खरीदने के लिए दो चीनी नागरिकों ने बोली लगाई थी. हालांकि दोनों ने अपनी पहचान का खुलासा नहीं किया है. ये दोनों चीनी नागरिक सुपर डुपर और हिटमैन के नाम से बोली लगा रहे थें. 

  1. नॉर्मल से दिखने वाले कबूतरों की कीमत का आप अंदाजा भी नहीं पाएंगे
  2.  इन कबूतरों को 14.14 करोड़ रुपयों में बेचा गया है
  3. जानें न्यू किम कबूतरों की खासियतें

दो चीनी नागरिक ने लगाई बोली

हिटमैन ने न्यू किम के लिए पहले बोली लगाई बाद में सुपर डुपर ने. सुपर डुपर ने 1.9 मिलियन यूएस डॉलर यानी 14.14 करोड़ रुपयों की बोली लगाकर ये कबूतर अपने नाम कर लिया. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि दोनों चीनी नागिरक जो बोली लगा रहे थे वो एक ही थे. कबूतरों की नीलामी में वो परिवार में शामिल था जो कबूतरों को रेसिंग और तेज उड़ने की ट्रेनिंग देते हैं. इस ऑक्शन में 445 कबूतर आए थे. कबूतरों और अन्य पक्षियों को निलामी में बेचने के बाद 52.15 करोड़ रुपयों की कमाई हुई.

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न्यू किम कबूतरों की खासियत

इन कबूतरों की खासियत यह है कि ये बहुत तेज उड़ सकते है ये रेसिंह कबूतर 15 साल तक जी सकते हैं. ये रेस में भाग लेते हैं. इन कबूतरों पर ऑनलाइन सट्टे लगते हैं. इन कबूतरों के जरिए चीन और यूरोपीय देशों के रईस अपने पैसे कई गुना बढ़ाते हैं और गंवाते भी है. यूरोप और चीनमें अलग-अलग स्तर के रेस का आयोजन किया जाता है. रेस में जीतने से मिलने वाले पैसों को लोगों में बांटा जाता है जो उसपर लगाते हैं. इसे आप घोड़े की रेस की तरह कह सकते हैं. 

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ये कबूतर लगाते थे मौसम का पता

बता दें, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बेल्जियम के पास 2.50 लाख रेसिंग कबूतरों की फौज थी. जो जरूरी सूचना को पहुचांते और लाते थे. इसके अलावा इन कबूतरों को लेकर एक फेडरेशन बनाया गया था. जिनमें हजारों की संख्या में लोग शामिल थे.  करीब 50 साल पहले तक फ्रांस और स्पेन में मौसम की जानकारी देने के लिए भी कबूतर ट्रेंड किया जाता था. ये दूर-दूर तक उड़ानभर कर मौसम की जानकारी लाते थे. की जानकारी उनके पैरों में लगे उपकरणों में दर्ज होते थे. 

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