बैंकर से साधु बनने तक की पूरी कहानी, करीब 50 साल से हाथ नहीं किया नीचे; किस वजह से बने 'हठयोगी'
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बैंकर से साधु बनने तक की पूरी कहानी, करीब 50 साल से हाथ नहीं किया नीचे; किस वजह से बने 'हठयोगी'

Baba Amar Bharti: इंटरनेट पर एक काफी पुराना वीडियो सामने आया जिसमें अमर भारती ने एक विदेशी शख्स से अपने विश्वास और एक दशक से अधिक समय तक अपना हाथ नीचे नहीं रखने के अपने फैसले के बारे में बात की थी.

 

बैंकर से साधु बनने तक की पूरी कहानी, करीब 50 साल से हाथ नहीं किया नीचे; किस वजह से बने 'हठयोगी'

Video Of Yogi Amar Bharti Viral: आप भगवान के प्रति कितने समर्पित हैं? जाहिर है अमर भारती की तरह समर्पित नहीं होंगे, क्योंकि बैंकर से तपस्वी बने इस साधु ने भक्त की सभी ज्ञात परिभाषाओं को पार कर लिया है. हाल ही में इंटरनेट पर एक काफी पुराना वीडियो सामने आया जिसमें अमर भारती ने एक विदेशी शख्स से अपने विश्वास और एक दशक से अधिक समय तक अपना हाथ नीचे नहीं रखने के अपने फैसले के बारे में बात की थी. यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी देखा जा रहा है. इस बार यह वीडियो रेडिट पर बेहद पसंद किया जा रहा है. योगी भारती करीब 5 दशक से अपना हाथ खड़े करने के लिए चर्चा में रहे हैं.

करीब 50 साल से हाथ को नहीं किया है नीचे

उन्होंने इस तरह की चरम प्रतिज्ञा लेने के लिए अपनी प्रेरणाओं के बारे में बात की. उनका कहना है कि यह उनके भगवान शिव का सम्मान करने के लिए है. वायरल हो रहे थ्रोबैक वीडियो में भारती युवा दिखाई दे रहे हैं, वह अपने सबसे हाल के क्लिक्स के विपरीत एक तंबू में बैठे एक जिज्ञासु विदेशी शख्स से बात कर रहे हैं. दोनों अपनी भाषा बाधाओं के बावजूद संवाद करते हैं.

जिज्ञासु विदेशी द्वारा हाथ उठाने की भारती की प्रारंभिक प्रेरणा के बारे में सवाल पूछने पर तपस्वी ने जवाब दिया कि वह दुनिया के लिए काम करना चाहता है और साथ ही साथ अपने स्वामी का सम्मान करना चाहता है. यह बात करते हुए कि वह कब तक अपना व्रत रखेंगे, भारती ने खुलासा किया कि उस समय उनकी कोई योजना नहीं थी, लेकिन उनका पूरा जीवन ऐसा ही रहेगा.

 

 

पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

अमर भारती ने अपना पूरा जीवन हाथ ऊपर करके रखा, लगभग 50 वर्षों के बाद भी हाथ नीचे नहीं लाया. वह आगे बताते हैं कि सोते समय भी वह अपना हाथ ऊपर रखते हैं. भारती बताते हैं कि उसके हाथ में अब दर्द नहीं होता है, वह हाथ में सेंस और ताकत पूरी तरह से खो चुका है. भारती ने एक रूढ़िवादी जीवन जिया. उनके पास एक परिवार, एक नौकरी और एक सामाजिक उपस्थिति थी, लेकिन जब उन्होंने सन्यासी बनने का फैसला लिया तो चीजें बदल गईं. वह एक साधु की तरह जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए. 1973 में, भारती ने अपना घर छोड़कर एक साधु के जीवन को अपनाने का फैसला किया. घर से निकलते ही भारती ने हाथ ऊपर कर लिया.

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