250 साल पुराना चांदी का सिक्का, जिस पर लिखी हुई थी ऐसी चीजें; पढ़कर बढ़ गई लोगों की टेंशन
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250 साल पुराना चांदी का सिक्का, जिस पर लिखी हुई थी ऐसी चीजें; पढ़कर बढ़ गई लोगों की टेंशन

King Street Silver Coin: ब्रिटेन की सबसे पुरानी थिएटर कंपनी ब्रिस्टल ओल्ड विक (Bristol Old Vic) ने हाल ही में अपनी सदियों पुरानी पॉलिसी का सम्मान करने का फैसला किया है. उन्होंने एक चांदी के टोकन के ओनर को हर थियेटर शो के लिए मुफ्त टिकट देने का वादा किया.

 

250 साल पुराना चांदी का सिक्का, जिस पर लिखी हुई थी ऐसी चीजें; पढ़कर बढ़ गई लोगों की टेंशन

Britain’s Oldest Theatre Company: ब्रिटेन की सबसे पुरानी थिएटर कंपनी ब्रिस्टल ओल्ड विक (Bristol Old Vic) ने हाल ही में अपनी सदियों पुरानी पॉलिसी का सम्मान करने का फैसला किया है. उन्होंने एक चांदी के टोकन के ओनर को हर थियेटर शो के लिए मुफ्त टिकट देने का वादा किया, जो 1766 का है और नीलामी में बेचा जा रहा है. ब्रिस्टल ओल्ड विक को शुरू में थिएटर रॉयल के नाम से जाना जाता था. इसे 1764 और 1766 के बीच किंग स्ट्रीट पर बनाया गया था. द गार्जियन के मुताबिक, 1766 में थिएटर में ओरिजनल शेयरधारकों के लिए केवल 50 टोकन ढाले गए थे.

आखिर किसका है 250 साल पुराना चांदी का सिक्का?

पचास ओरिजनल शेयरधारक या यूं कहें कि मालिकों ने 18वीं शताब्दी में थिएटर के निर्माण में अपने योगदान में £50 (5,055 रुपये) का कॉन्ट्रिब्यूशन दिया था, बदले में हर एक को एक चांदी का टोकन मिला. सिल्वर टिकट के हकदार मालिक को फ्री में थियेटर देखने का फायदा मिलता था. टोकन टिकट संख्या 35 पर शिलालेख में लिखा, "इस टिकट का मालिक थियेटर में दिखाए जाने वाले हर एक्ट को देखने का हकदार है." सिक्के के दूसरे पहलू पर लिखा था, "किंग स्ट्रीट, ब्रिस्टल थिएटर/30 मई, 1766." इस बीच सिक्कों की अदला-बदली की गई, खो गए, बेचे गए, पाए गए और यहां तक कि जाली भी बनाए गए.

क्या है सिक्के के पीछे का इतिहास

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल थिएटर कलेक्शन ने कुछ सिक्कों का पता लगाया. उनके पास 1791 में एक टिकट £30 में बिक्री के लिए पेश किए जाने का रिकॉर्ड है. रिपोर्ट्स की माने तो टोकन नंबर 35 शेयरधारक विलियम जोन्स को 1766 में दिया गया था और सिक्का 1815 में एक प्रमुख ब्रिस्टल ब्लू ग्लास निर्माता जॉन वाधम के पास पाया गया था. जॉन वाधम फ्रेंचे मैनर के मालिक भी थे, जो अभी भी मौजूद है और 1820 में ब्रिस्टल फ्लोटिंग हार्बर कंपनी के निदेशक थे. इसके बाद इसे उनके बेटे थॉमस को सौंप दिया गया, जो 1843 में ब्रिस्टल के हाई शेरिफ बन गए और विंटरबॉर्न स्कूल की स्थापना की. 

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