Knowledge News: भागदौड़ भरी जिंदगी को आसान बनाने वाले टिस्यू पेपर (Tissue Paper) के यूं तो कई फायदे हैं, वहीं इसके कुछ ऐसे नुकसान भी हैं, जिनके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है. अगर आपको भी इसके बारे में नहीं पता तो नॉलेज न्यूज़ के इस सेक्शन में जान सकते हैं.
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Tissue Paper disadvantages: आज भी भागदौड़ भरी जिंदगी में सबके पास टाइम की कमी है. या यूं कहें कि लाइफ स्टाइल बदलने से पेपर नैपकिन, जिसे टिश्यू पेपर भी कहा जाता है की मांग हर जगह काफी बढ़ गई है. घर, दफ्तर, होटल और रेस्टोरेंट हर जगह टिश्यू पेपर ने अपनी ऐसी जगह बना ली है, जिसे हिला पाना या हटा पाना फिलहाल तो असंभव सा दिखता है.
मांग बढ़ी तो नुकसान बढ़ा
टिश्यू पेपर की डिमांड में तेजी से इजाफा हुआ है. दरअसल हवा की तरह इस बेहद हल्के फुल्के आइटम ने साफ सफाई के मुश्किल और टेढ़े काम को भी आसान कर दिया है. यूं तो इसके ढ़ेर सारे फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ बड़े नुकसान भी हैं जो किसी को दिखाई तो नहीं पड़ते हैं, पर उसका असर हम सभी पर जरूर पड़ता है. यानी जैसे जैसे इसकी मांग बढ़ी वैसे-वैसे हमारा-आपका और कुदरत का यानी सभी का एक बड़ा नुकसान भी हो रहा है.
टिश्यू पेपर के नुकसान
आपको बताते चलें कि नैपकीन पेपर को बनाने में कागज का इस्तेमाल होता है. यानी पेपर बनाने के लिए पेड़ की जरूरत होती है. तो जब पेड़ को काटकर उससे कागज का निर्माण किया जाता है. तो इस प्रकार टिश्यू पेपर की बढ़ती डिमांड पेड़ों यानी हमारे पर्यावरण के लिए आफत बन रही है. साफ है कि टिश्यू पेपर की बढ़ती डिमांड से पेड़ों की कटाई में जमकर इजाफा हुआ है. इसे बनाने वाली यूनिट से पूरे वातावरण को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है. यानी अब आपको टिस्यू पेपर देखते ही उसका मिस यूज नहीं बल्कि सही यूज करने की जरूरत है वरना पेड़ों की ताबड़तोड़ कटाई से ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी और आने वाले दिनों में सांसों का संकट गहरा सकता है.
वन टाइम यूज़ बड़ी समस्या
इसकी सबसे बड़ी खामी इसका रि-यूज न हो पाना है. दरअसल पानी में भीगने पर टिश्यू पेपर बर्बाद हो जाता है. दोबारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसे में पेड़ों को काटकर बनाया जाने वाला टिश्यू पेपर अगर बर्बाद होगा तो उसके नुकसान की भरपाई संभव नहीं है. आजकल बाजार में कई महंगे टिस्यू पेपर भी आ रहे हैं ऐसे में आपकी जेब और अपने पर्यावरण दोनों के हिसाब से इसके चलन को बढावा देना सही नहीं है. यूज होने के बाद इसका वजन बढ़ जाता है. इसे कूड़ेदान में सही जगह न फेंका जाए तो इसके ढेर से नाली जाम भी हो सकती है.
जलाने पर खतरनाक गैस
इस पेपर को अगर गलती से जला दिया जाए तो उससे भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. क्योंकि इसे जलाने पर जहरीली गैसें निकलती हैं जिससे आस-पास मौजूद लोगों को सांस लेने में समस्या या एलर्जी भी हो सकती है. इसलिए इसके इस्तेमाल को बहुत ज्यादा बढ़ावा देना सही नहीं है. आप इसकी जगह रुमाल का इस्तेमाल करके पैसे और पर्यावरण दोनों को बचा सकते हैं.
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