Rakshabandhan: यहां तैयार हुई दुनिया की सबसे बड़ी राखी.. 125 किलो के रक्षाबंधन की डोर से बंधा पूरा मंदिर
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Rakshabandhan: यहां तैयार हुई दुनिया की सबसे बड़ी राखी.. 125 किलो के रक्षाबंधन की डोर से बंधा पूरा मंदिर

Worlds Largest Rakshabandhan: इंदौर में भगवान गणेश को अर्पित की गई ‘दुनिया की सबसे बड़ी राखी’ को बनाने में कई दिन लग गए. भक्तों ने अपने इष्ट देव को रक्षाबंधन पर सोमवार को 169 वर्ग फुट की राखी अर्पित की.

Rakshabandhan: यहां तैयार हुई दुनिया की सबसे बड़ी राखी.. 125 किलो के रक्षाबंधन की डोर से बंधा पूरा मंदिर

Worlds Largest Rakshabandhan: रक्षाबंधन के पर्व की धूम सोमवार को पूरे देश में देखने को मिली. बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा की डोर बांधकर उनके सुरक्षित जीवन की कामना की. किसी ने पतली सी डोर की राखी बांधी तो कई बहनों ने सोने-चांदी की राखी से अपने भाइयों की कलाई सजाई. सबसे ज्यादा जिस राखी की चर्चा हो रही है, वो बनी है इंदौर में. यह दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी राखी है. 125 किलो का यह रक्षाबंधन भगवान श्री गणेश को समर्पित किया गया.

169 वर्ग फुट की राखी

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इंदौर में भगवान गणेश को अर्पित की गई ‘दुनिया की सबसे बड़ी राखी’ को बनाने में कई दिन लग गए. इंदौर में भगवान गणेश के भक्तों की एक संस्था ने इसे तैयार किया है. भक्तों ने अपने इष्ट देव को रक्षाबंधन पर सोमवार को 169 वर्ग फुट की राखी अर्पित की.

'दुनिया की सबसे बड़ी राखी'

संस्था ने दावा किया है कि यह पर्यावरण बचाने की थीम पर तैयार की गई दुनिया की सबसे बड़ी राखी है. श्री विघ्नहर्ता गणेश भक्त समिति के सचिव राहुल शर्मा ने कहा कि रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त पर शहर के खजराना गणेश मंदिर में भगवान को यह राखी अर्पित की गई. उन्होंने इसे पर्यावरण बचाने की थीम पर बनाई गई 'दुनिया की सबसे बड़ी राखी' बताया.

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डोर 101 मीटर लम्बी

शर्मा ने बताया कि 13 गुणा 13 फुट की राखी की डोर 101 मीटर लम्बी है जिसे पूरे मंदिर परिसर पर बांधा गया है. उन्होंने बताया कि राखी का वजन 125 किलोग्राम है और इसे 15 कलाकारों ने पखवाड़े भर में तैयार किया है. राखी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून से शुरू किए गए ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ पौधारोपण अभियान का नाम भी लिखा गया है.

भगवान गणेश को अर्पित

शर्मा ने कहा,‘हमने भगवान गणेश को यह राखी अर्पित करते समय उनसे प्रार्थना की कि वह वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के खतरों से पृथ्वी की रक्षा करें. यह राखी बनाने के पीछे हमारा मकसद आम लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करना है.' गौर करें तो यह राखी हमें दिखाती है कि हमारी संस्कृति और धर्म पर्यावरण संरक्षण के साथ कैसे जुड़े हो सकते हैं. इस तरह की पहलें न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद हैं. आइये आपको ऐसी पहल की जरूरत से रूबरू कराते हैं... 

रक्षाबंधन की परंपरा का विस्तार

पर्यावरण संरक्षण: इस राखी ने रक्षाबंधन की परंपरा को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है. यह दिखाता है कि हमारी पारंपरिक मान्यताएं पर्यावरण संरक्षण के साथ भी जुड़ी हो सकती हैं.

समाजिक जागरूकता: इस तरह की पहल समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

रचनात्मकता और कारीगरी: इस विशाल राखी को बनाने में लगे कलाकारों की रचनात्मकता और कारीगरी काबिले तारीफ है.

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

पौधारोपण अभियान: राखी पर 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान का उल्लेख पर्यावरण संरक्षण के महत्व को दर्शाता है.

वैश्विक मुद्दों से जुड़ाव: राखी के माध्यम से वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

समाज का योगदान: इस तरह की पहल से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा सकता है.

धर्म और पर्यावरण का समन्वय

धार्मिक भावनाओं का उपयोग: इस राखी को भगवान गणेश को अर्पित करके धार्मिक भावनाओं का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया गया है.

सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण: यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण के लिए मूल्य निहित हैं.

भविष्य के लिए संभावनाएं

ऐसी और पहल: इस तरह की पहल से प्रेरित होकर अन्य लोग भी पर्यावरण संरक्षण के लिए रचनात्मक तरीके खोज सकते हैं.

समाज में बदलाव: इस तरह की पहलें समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

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