इस दुनिया में एक ऐसा देश भी है जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष लोगों की रक्षा के लिए कोई कमांडो, सिक्योरिटी गार्ड या फिर ड्रोन कैमरे नहीं बल्कि पक्षियों को तैनात किया जाता है.
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नई दिल्ली: अक्सर ही आपने देखा होगा कि किसी भी देश में राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में बहुत ज्यादा सतर्कता बरती जाती है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ट्रेंड कमांडो को तैनात किया जाता है. किसी तरह की चूक न हो सके, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जाती है. लेकिन इस दुनिया में एक ऐसा देश भी है जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष लोगों की रक्षा के लिए कोई कमांडो, सिक्योरिटी गार्ड या फिर ड्रोन कैमरे नहीं बल्कि पक्षियों को तैनात किया जाता है. दुनिया में ऐसे भी देश हैं जो राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में बाज और उल्लू की तैनाती करते हैं.
1984 में बनाई गई थी उल्लुओं की टीम
रूस में राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन और उसके आसपास मौजूद प्रमुख सरकारी इमारतों की सुरक्षा तो वैसे वहां का प्रशासन पुख्ता रखता है लेकिन देश के रक्षा विभाग ने इसके लिए बाज और उल्लुओं की एक टीम पाल कर रखी है. जिसे साल 1984 में बनाया गया था. मौजूदा समय में 10 से ज्यादा बाज और उल्लू इस टीम में हैं. इन बाजों और उल्लुओं को सुरक्षा के लिहाज से कुछ खास ट्रेनिंग भी जाती है जिससे की ये सुरक्षा में किसी तरह की कमी न रखें.
आखिरकार क्यों किया जाता है ये काम?
रिपोर्ट्स की माने तो कौओं से राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए इन बाजों और उल्लुओं की तैनाती की जाती है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कौओं के मल-मूत्र से राष्ट्रपति भवन और उसके आसपास की इमारतें गंदी हो जाती हैं, फिर इनकी सफाई और अन्य रखरखाव के लिए काफी मेहनत और पैसों को खर्च करना पड़ता है, इसलिए कौए राष्ट्रपति भवन से दूर रह सके, इस कारण से भी बाघ और उल्लू को यहां पर तैनात किया गया है.
विशेष उल्लुओं और बाज की नस्लों की है टीम
परिंदों की टीम में 20 साल की एक मादा बाज ‘अल्फा’ और ‘फाइल्या’ नाम का उल्लू है जो कुछ विशेष हैं. ये राष्ट्रपति भवन के आसपास कौओं की आवाज सुन लें या उन्हें आसमान में मंडराते देख लें उन कौंओं की खैर नहीं. तुरंत ही उन्हें ये बाज और उल्लू झपट पड़ते हैं और उन्हें दूर भगा देते हैं या मार ही डालते हैं.