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Graduate Mother: यूपी के जौनपुर में एक महिला रोजी रोटी चलाने और अपनी बेटी के उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने का काम कर रही है. आपको बता दें कि जौनपुर की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने वाली इस महिला का नाम गायत्री है. ई-रिक्शा चलाने का ये गायत्री का तीसरा दिन है. गणतंत्र दिवस के उत्साह में गायत्री ने भी अपने ई-रिक्शा के आगे तिरंगा लगा रखा है. अयोध्या की रहने वाली गायत्री का जन्म मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था. भोपाल से ही गायत्री पढ़ाई कर ग्रेजुएट हुई. गायत्री की भी शादी बड़े धूम धाम से हुई थी, लेकिन बेटी पैदा होने के कुछ दिन बाद पति ने गायत्री को छोड़ दिया.
ई-रिक्शा चलाकर बेटी को पढ़ा-लिखा रही मां
बेटी को पढ़ाने के लिए गायत्री ने मॉल से लेकर कई एजेंसियों में काम किया. गायत्री बताती है कि उन जगहों पर शोषण ज्यादा होता था और पैसे महज 7 हजार मिलते थे इस लिए गायत्री ने वो काम छोड़ दिया. गायत्री ने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए अपनी बहन के घर जौनपुर भेजा था. बहन और जीजा ने गायत्री को सलाह दिया कि क्यों न तुम ड्राइविंग सीखो और ई-रिक्शा चलाकर पैसे कमाओ. गायत्री ने बहन और जीजा की मदद से न सिर्फ ई-रिक्शा चलाना सीखा बल्कि 300 रुपए प्रतिदिन के किराए पर ई-रिक्शा लेकर आज सड़कों पर फर्राटे से सवारी ढोती नजर आ रही है.
मां के सपने को साकार करना चाहती है बेटी
अभी गायत्री के लिए ये शहर नया है, यहां की गलियां नई है इसलिए गायत्री की बहन भी प्रतिदिन गायत्री के साथ ई रिक्शे पर जाती है जिससे उसे रास्ता बता सके. गायत्री की माने तो कई बार महिला को रिक्शा चलाता देख लोग पलट-पलट कर देखते भी है. सवारी जल्दी बैठना नहीं चाहती, ऐसी दिक्कतें अभी आ रही है लेकिन मुझे तो अपना काम करना है और अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना है. गायत्री की बेटी श्रेया कक्षा 11 की स्टूडेंट है. श्रेया का सपना डॉक्टर बनना है और बेटी को उच्च और बेहतर शिक्षा देने के लिए गायत्री दिन रात मेहनत कर रही है. श्रेया बताती है कि मां अपने जीवन मे काफी स्ट्रगल कर रही है और मुझे मां के इस सपने को साकार करना है.
कहते है कि अगर एक मां अपने बच्चे के लिए कुछ ठान लेती है तो उसे हर हाल में पूरा करती है. गायत्री ने भी अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने का सपना देखा है और उसके लिए वो कड़ी मेहनत भी कर रही है.
रिपोर्ट: अजीत सिंह