जिस तालाब में पहुंच जाती है मछली वहां मचा देती है तबाही! बाकी मछलियों को कर देती है 'सफाचट'
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जिस तालाब में पहुंच जाती है मछली वहां मचा देती है तबाही! बाकी मछलियों को कर देती है 'सफाचट'

Shocking News: फ्लैटहेड कैटफिश उत्तरी अमेरिका की एक बड़ी मछली है जो 120 पाउंड तक वजन की हो सकती है, यह मछली अब अपने मूल निवास स्थान से बाहर के जलमार्गों में भी पाई जाने लगी हैं, जिनमें कनाडा के कुछ हिस्से भी शामिल हैं.

 

जिस तालाब में पहुंच जाती है मछली वहां मचा देती है तबाही! बाकी मछलियों को कर देती है 'सफाचट'

Flathead Catfish: फ्लैटहेड कैटफिश उत्तरी अमेरिका की एक बड़ी मछली है जो 120 पाउंड तक वजन की हो सकती है, यह मछली अब अपने मूल निवास स्थान से बाहर के जलमार्गों में भी पाई जाने लगी हैं, जिनमें कनाडा के कुछ हिस्से भी शामिल हैं. पर्यावरणविद इन मछलियों के पूरे देश में फैलने को लेकर चिंतित हैं. असल में ये मछलियां मूल रूप से मैक्सिको की खाड़ी के इलाके में पाई जाती थीं. जीवविज्ञानी जोएल फ्लेमिंग का कहना है कि एक बार जब ये मछलियां कहीं ठहर जाती हैं, तो वो उस इलाके में सबसे खतरनाक शिकारी बन जाती हैं. फ्लैटहेड कैटफिश नाम की ये बड़ी मछली एक बार में करीब 10,000 अंडे देती है.

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जिस नदी में जाती वहां की मछलियां कर जाती है सफाचट

यह मछली पहले सिर्फ साउथ अमेरिका की नदियों में पाई जाती थी. लेकिन अब ये पूरे देश में फैल गई है. इसके दो कारण हैं- पहला, इन्हें जान-बूझकर नदियों और जलमार्गों में छोड़ा गया. दूसरा, ये मछलियां घनी आबादी वाली जगहों से निकलकर दूसरी जगहों पर चली जाती हैं. इन मछलियों को कैलिफोर्निया में 1962 में, वर्जीनिया में 1965 में और वाशिंगटन डी.सी. की पोटोमैक नदी में 2003 में पाया गया था. गौर करने वाली बात ये है कि जितनी देर ये एक जगह रहीं, उतनी ही ये अधिक संख्या में होती गईं. पिछले साल जून में पेन्सिलवेनिया में इनमें से एक मछली ने 66 पाउंड (30 किलो से ज्यादा) का रिकॉर्ड बनाया.

एक साथ देती हैं 10 हजार से ज्यादा अंडे

वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग ने भी इनके फैलने में मदद की है, और अब ये कनाडा के दक्षिणी ओंटारियो में टेम्स नदी तक भी पहुंच चुकी हैं. वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि फ्लैटहेड कैटफिश ने शायद नदी में अपना एक ऐसा समूह बना लिया है जो खुद को बनाए रख सकता है. ये खासकर इसलिए चिंता की बात है क्योंकि इस नदी में पहले से ही 25 तरह की मछलियां और सीप रहती हैं जिन्हें खतरे में माना जाता है. टोरंटो यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान प्रोफेसर निकोलस मंद्राक के अनुसार हर एक फ्लैटहेड कैटफिश हर रोज किलो-किलो मछलियां खा जाएगी.

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क्लाइमेट चेंज की भी वजह हो सकती है यह मछली

प्रोफेसर मंद्राक को लगता है कि जलवायु परिवर्तन इसकी एक वजह हो सकती है. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे हमारे पानी गर्म होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे कनाडा में इन दक्षिणी कैटफिश के जीवित रहने के लिए ये अधिक उपयुक्त तापमान बनते जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि ये कैटफ़िश बहुत बड़ी होती हैं और बहुत सारी मछलियां खा जाती हैं. इसलिए, अगर हम इनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करते हैं, तो ये हमारे मछली पालन को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं.

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