भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सिर्फ भारतियों ने ही नहीं बल्कि विदेशियों ने भी काफी संघर्ष किया है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विदेशी महिला ने भारत की आजादी का बिगुल बजाया था. आइए जानते है इस जांबाज महिला के योगदानों के बारे में
भारत की स्वतंत्रता इस हवन में कई विदेशियों का भी हाथ था. जिन्होंने भारतियों की खूब मदद की. उन्हीं में से एनी बेसेंट का नाम हमेशा लिया जाता है.
एनी बेसेंट का जन्म लंदन में हुआ था, मगर प्रेम उनको भारत से था. उन्होंने भारत में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के साथ साथ यहां पर होने वाले स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ के भाग भी लिया.
1916 में एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की स्थापना की थी. इस लीग को लीड करते हुए बेसेंट ने भारत की स्वतंत्रता के लिए काफी संघर्ष किया. जेल गई, प्रदर्शन किया, लाठी चार्ज की शिकार हुई.
1917 में रिहाई के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता ग्रहण की. बेसेंट कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनी थी. इसके बाद तो स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अपनी आत्म शक्ति के साथ आग झोंक दी. लगातार संघर्ष और भारत के प्रति प्रेम ने उनको भारत का स्वतंत्रता सेनानी बना दिया.
एनी बेसेंट शिक्षा को बहुत महत्व देती थी. बेसेंट ने आंध्र प्रदेश में मदनपल्ले कॉलेज, वारार्सी में गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की. देश की ऐसी ही कई प्रतिष्ठित कॉलेज और यूनिवर्सिटी की स्थापनाओं में बेसेंट का महत्वपूर्ण योगदान रहा था.
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