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Knowledge Story: गाड़ी में बैठते ही क्यों आने लगती है नींद? जानें इसके पीछे का विज्ञान

Knowledge Story: आपने अक्सर देखा होगा कि जब हम किसी सफर में जाते हैं तो गाड़ी में बैठते ही हमें नींद (Sleep) आने लगती है. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है? आपको बता दें कि इसके पीछे विज्ञान छिपा हुआ है.

रिसर्च में सामने आई ये बातें

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रिसर्च में सामने आई ये बातें

इसे लेकर रिसर्च में कई बातें सामने आई हैं. स्‍पीप डेब्‍ट, बोरियत और हाइवे हिप्नोसिस (Highway Hypnosis) को इसके पीछे की वजह बताया गया है.

तैयारी में पूरी नहीं होती नींद

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तैयारी में पूरी नहीं होती नींद

आप अगर कहीं जाने वाले होते हैं तो इससे पहले ढेर सारी तैयारी करते होंगे. इसके अलावा आपके दिमाग में ये बातें चलती रहती हैं कि कहीं कोई चीज छूट न जाए. इस चक्कर में आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती है. इसे ही स्‍लीप डेब्‍ट (Sleep Debt) कहा जाता है. यही सफर के दौरान नींद की सबसे बड़ी वजह बनती है.

जानिए पीछे का विज्ञान

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जानिए पीछे का विज्ञान

रिसर्च के अनुसार, चलती गाड़ी में लोगों को तभी नींद आती है. जब वह कुछ कर नहीं रहे होते हैं. इस दौरान दिमाग और शरीर रिलैक्‍स की स्थिति में पहुंच जाता है. इसलिए सफर के दौरान लोगों को नींद आने लगती है. इस स्थिति को हाइवे हिप्नोसिस कहते हैं.

चलती गाड़ी का मूवमेंट भी जिम्मेदार

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चलती गाड़ी का मूवमेंट भी जिम्मेदार

रिसर्च कहता है कि चलती गाड़ी में होने वाला मूवमेंट भी सफर के दौरान नींद लाने का काम करता है. इस दौरान आपकी बॉडी ठीक वैसे ही काम करती है, जैसे बचपन में मम्मी बच्‍चे को सुलाने के लिए गोद में लेकर हिलाती-डुलाती है. विज्ञान की भाषा में इसे रॉकिंग सेंसेशन (Rocking Sensation) कहते हैं.

एक ही फ्लो में हिलने से आती है नींद

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एक ही फ्लो में हिलने से आती है नींद

आप जब एक ही फ्लो में हिलते हैं तो उसे रॉकिंग सेंसेशन कहा जाता है. इससे दिमाग पर सिंक्रोनाइजिंग इफेक्ट पड़ता है. जिससे आप स्लीपिंग मोड में चले जाते हैं. इसे स्लो रॉकिंग भी कहते हैं.

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