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नई दिल्ली: Knowledge: आमतौर पर कोई भी जेल की हवा नहीं खाना चाहता है. जेल (Prison Life) जाने के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं, जोकि बहुत स्वाभाविक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेल में कैदियों की बिल्कुल अलग दुनिया होती है? इस दुनिया में आने के बाद कैदी का बाहर की दुनिया से संपर्क खत्म हो जाता है और वो जेल की दीवारों के बीच ही सीमित रहता है (Prisoner's Life). यहां तक कि अपने परिजनों और करीबी दोस्तों से भी बातचीत खत्म हो जाती है. हालांकि जेल की सलाखों के पीछे भी हर किसी की अपनी कुछ जरूरतें हो सकती हैं. क्या आप जानते हैं कि कैदी जेल में अपनी जरूरतें कैसे पूरी करते हैं (Prison Life)?
क्या आप जानते हैं जेल में कैदियों को उनकी जरूरत के हिसाब से कई सामान मिलते हैं? सिर्फ यही नहीं, वे वहां शॉपिंग (Shopping In Jail) भी कर सकते हैं और शॉपिंग करने के लिए उन्हें पैसे भी दिए जाते हैं. ये रुपये हमारे-आपके वाले आम गांधी जी की फोटो छपे नोट नहीं होते हैं बल्कि जेल की अपनी खास ‘करेंसी’ (Jail Currency) होती है. जानिए जेल की करेंसी (Prison Currency) के बारे में और साथ ही यह भी कि उसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है.
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जेल में सामान्य इंडियन करेंसी (Indian Currency) नहीं चलती है और जेल में कैदियों का अपने पास रुपये रखना भी एक तरह का जुर्म होता है. हालांकि, कैदी जेल में भारतीय करेंसी की जगह जेल के पैसे (Jail Coupons) रख सकते हैं लेकिन उसकी भी एक लिमिट होती है. ये पैसे कूपन के रूप में होते हैं. ये कूपन पुराने जमाने के मूवी टिकट (Movie Ticket) की तरह होते हैं और 1,2,5, 10, 20 के होते हैं.
जेल में एक सरकारी कैंटीन (Canteen Central) होती है, जिसमें रोजाना इस्तेमाल किया जाने वाला सामान मिलता है. इन कूपन का इस्तेमाल जेल की कैंटीन में किया जाता है. यहां से कैदी साबुन, टूथपेस्ट, इनरवियर्स आदि जरूरत की चीजें खरीद सकते हैं. सरकारी कैंटीन (Canteen Central) की व्यवस्था आमतौर पर बड़ी जेलों में होती है.
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जेल में कैदियों से कई तरह के काम करवाए जाते हैं, जिसके बदले में उन्हें मेहनताना भी मिलता है. जेल में यह मेहनताना उन्हीं कूपन के रूप में मिलता है. अपनी सजा पूरी करने के बाद बाहर जाने से पहले इन्हें आम रुपयों की वैल्यू में एक्सचेंज करवाया जा सकता है. इन कूपन को जेल के बाहर ले जाने की इजाजत नहीं होती है.