आबिद हसन सफरानी देश के स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने नेताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. लोगों को लगता है कि 'जय हिंद' का नारा सुभाष चंद्र बोस ने दिया था लेकिन असल में इस नारे को देने का श्रेय आबिद हसन सफरानी को जाता है.
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Story Of Abid Hasan Safrani: भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिया जाता है. फॉरवर्ड ब्लॉक (Forward Block) के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस को जर्मनी के तानाशाह हिटलर (German dictator Hitler) ने नेताजी की उपाधि दी थी. जापान की मदद से नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन किया था. भारत को विश्व में मान्यता दिलाने के लिए उन्होंने कई देशों की यात्रा भी की. नेताजी के तमाम संघर्षों में एक शख्स उनके साथ उनकी परछाईं बनकर खड़ा रहा जिसका नाम आबिद हसन सफरानी (Abid Hasan Safrani) था. आबिद हसन सफरानी देश के स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने नेताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. लोगों को लगता है कि 'जय हिंद' का नारा सुभाष चंद्र बोस ने दिया था लेकिन असल में इस नारे को देने वाला शख्स कोई और नहीं, आबिद हसन सफरानी साहेब ही थे.
कौन हैं आबिद हसन सफरानी?
हैदराबाद में 11 अप्रैल साल 1911 में पैदा हुए आदिब हसन साहेब पर अपने परिवार की छाप बचपन से ही थी. आपको बता दें कि आदिब हसन बचपन का नाम ज़ैनुल आबिदीन हसन (Zain-al-Abdin Hasan) था. इनकी मां फरकुल हाजिया बेगम खुद एक स्वतंत्रता सेनानी थीं. आदिब हसन पर उनकी मां का काफी प्रभाव देखने को मिलता है. अपनी मां से प्रेरणा लेकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया. आजादी के आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए बीच में पढ़ाई भी छोड़ दी. एकबार आदिब साबरमती आश्रम जा पहुंचें. साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) में कुछ वक्त गुजारने के बाद उन्हें इस बात का ख्याल आया कि बिना हथियारों के देश को आजादी दिलाना बेहद मुश्किल है.
ऐसे आया ये जय हिंद का नारा
नासिक जेल में रिफाइनरी को नुकसान पहुंचाने के आरोप में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था लेकिन 'गांधी-इरविन' समझौते के दौरान उन्हें रिहा कर दिया गया. करीब 10 सालों तक आदिब साहब ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कामों में हिस्सा लिया. अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान आदिब सफरानी जर्मनी गए जहां उनकी मुलाकात सुभाष चंद्र बोस से हुई जिनसे वो काफी प्रभावित हुए. नेता जी के साथ रहते हुए उन्होंने उनके सचिव और ट्रांसलेटर के तौर पर काम किया. इसका जिक्र ‘लींजेंडोट्स ऑफ हैदराबाद’ (Legendots Of Hyderabad) नाम की किताब में मिलता है. भारत के मशहूर राइटर नसीर अहमद बताते हैं कि आगे चलकर आबिद सफरानी ने इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर की कमान संभाली और 'जय हिंद' ('Jai Hind' had been coined by Abid Hasan) का नारा दिया. एकबार की बात है जब सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज और आजाद भारत के लिए एक हिंदुस्तानी अभिवादन चाहते थे. इसके लिए कई सुझाव दिए गए लेकिन आबिद सफरानी के 'जय हिंद' पर मुहर लगी.
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