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Coronavirus News: कोरोना वायरस के फिर से बढ़ते मामलों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) की सरकार की परेशानी बढ़ा दी है. एक तरफ जहां उसे संक्रमण को नियंत्रित करने की रणनीति बनानी पड़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ कड़े फैसलों के खिलाफ लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रह है. सरकार ने शंघाई में बिगाड़ते हालात के मद्देनजर लॉकडाउन लगाया हुआ है, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है. स्थिति ये हो गई है कि तानाशाह की तरह पेश आने वाली सरकार अब लोगों से सहयोग की अपील कर रही है.
कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख समाचार पत्र ने देश से राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की जीरो COVID पॉलिसी का समर्थन करने का आह्वान किया है. वहीं, सरकार की तरफ से कहा गया है कि शंघाई और अन्य जगहों पर लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान होने का खतरा है, लेकिन इसके बावजदू इस रणनीति में फिलहाल किसी बदलाव की संभावना नहीं है. क्योंकि उसकी पहली प्राथमिकता संक्रमण को नियंत्रित करना है.
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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, 'पीपुल्स डेली' ने सोमवार को एक फ्रंट-पेज कमेंट्री में कहा कि वायरस को लेकर राष्ट्रपति की रणनीति सही और प्रभावी साबित हुई है और चीन को शी जिनपिंग के साथ अधिक निकटता से खड़ा होना चाहिए’. अखबार ने यह भी कहा है कि नागरिकों को पहले, तेज, सख्त और अधिक व्यावहारिक उपायों वाली रणनीति का पालन करना चाहिए.
'पीपुल्स डेली' ने आगे लिखा है, 'वर्तमान में, यह महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सबसे कठिन समय है. चीन महामारी की रोकथाम और नियंत्रण की कड़ी मेहनत की उपलब्धियों को कभी भी बर्बाद नहीं होने दे सकता. पिछले दो वर्षों के अनुभवों ने साबित कर दिया है कि महामारी की रोकथाम की सामान्य रणनीति और नीति सही और प्रभावी रही है’. अखबार ने इस महीने की शुरुआत में भी शी जिनपिंग की ZERO COVID पॉलिसी का बचाव करते हुए एक फ्रंट-पेज कमेंट्री छापी थी, जिसमें कहा गया था कि यह पॉलिसी जीवन बचाने और अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए आवश्यक है.
कोरोना के फिर से बढ़ रहे मामलों से चीन की विकास की रफ्तार बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. ऐसे में शी जिनपिंग दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं. एक तरफ उन्हें अर्थव्यवस्था को बचाना है और दूसरी तरफ, वायरस को बेकाबू होने से रोकना है. बता दें कि शंघाई और जिलिन के उत्तरपूर्वी प्रांत में लाखों लोगों को अपने घरों से निकलने पर रोक लगा दी गई है. जिसकी वजह से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे लोगों में कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है.