राफेल के सामने कहीं नहीं टिकता चीनी J-20 फाइटर, एक नहीं कई हैं कारण
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राफेल के सामने कहीं नहीं टिकता चीनी J-20 फाइटर, एक नहीं कई हैं कारण

भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में राफेल के शामिल होने से चीन (China) की भी धड़कनें तेज हैं. चीन भी अपनी ताकत दिखाने कि कोशिश कर रहा है लेकिन सवाल उठता है कि क्या चीन का ये विमान भारत के राफेल से टक्कर ले पाएगा?

 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: भारत के वायु सेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया  (Air chief marshal Rakesh Kumar Singh Bhadauria) ने कहा है कि इंडियन एयरफोर्य (Indian Air Force) के बेड़े में राफेल जेट (Rafale jets) का शामिल होना सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है. उन्होंने टाइमिंग को बेहद अहम बताया है. उन्होंने कहा इंडियन एयरफोर्स में 1951 में गठित गोल्डन एरो स्क्वाड्रन (Golden Arrows squadron) पहले से ही लड़ाकू विमान उड़ा रहा है. इसी स्क्वाड्रन ने भारत-पाकिस्तान युद्ध (Bharat Pakistan War) में दुश्मन देश के छक्के छुड़ाए थे.

  1. चीनी J-20 फाइटर राफेल के सामने है बेहद कमजोर

    दावों के अनुसार नहीं हुआ आज तक परीक्षण

    राफेल कई ऑपरेशन में अपना लोहा मनवा चुका है  

अब राफेल के शामिल होने से भारत के लड़ाकू विमानों के बेड़े से चीन (China) की भी धड़कनें तेज हैं. चीन भी अपनी ताकत दिखाने कि कोशिश कर रहा है लेकिन सवाल उठता है कि क्या चीन के ये विमान भारत के राफेल से टक्कर ले पाएंगे?

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राफेल बनाम चीनी J-20 स्टील्थ!
चीन ने लद्दाख एयरबेस (Ladakh Airbase) से 200 मील की दूरी पर J-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स (J-20 stealth fighter jets) तैनात किया है. स्टील्थ फाइटर जेट, जे -20 चीन ने जनवरी 2011 में दक्षिण-पश्चिम चीन के सिचुआन प्रांत के चेंग्दू में सैन्य एयरबेस पर परीक्षण के दौरान अपने बेड़े में शामिल किया था. मध्य लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच अगस्त में सैटेलाइट पिक्चर्स में दो जेट दिखाई दिए थे. एक रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने Su-30 MKI, MiG-29, और मिग -29 K तैनात किया है. साथ ही अंबाला एयरबेस (Ambala Airbase) पर राफेल की तैनाती की गई है. अंबाला एयरबेस चीनी सीमा से सिर्फ 200 किलो मीटर दूर है. यह चीन को टेंशन दे रहा है.

चीन मानता है अपना ब्रह्मास्त्र
दरअसल ड्रैगन के शस्त्रागार में J-20 सबसे लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता वाला उन्नत फाइटर जेट माना जाता है. चीन के पास कम से कम 20 J-20 जेट हैं. महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या जे -20 जो युद्ध की परिस्थितियों में अनटेस्टिड है वो हिमालय (Himalaya) की चोटियों को पार कर पाएगा? क्योंकि यह ‘चौथी पीढ़ी’ का फाइटर है न कि अपडेटेड ‘पांचवी पीढ़ी’ का. भले ही चीनी वायु सेना J-20 की तुलना US F-22 और F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों से करता हो लेकिन पश्चिमी विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि किसी ने इन दावों के मुताबिक असल परीक्षण देखा ही नहीं है.

चीन करता है अमेरिका से तुलना
चीन अपने इस फाइटर विमान को अमेरिकी फाइटर विमानों जैसा बताता है. दावा किया जाता है कि J-20 304 मील प्रति सैकंड की दर से 2100 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. सिंगल सीटर फाइटर जेट का निर्माण चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप (CAIG) ने किया है. चीन ने अपने सहयोगी पाकिस्तान को जेएफ -17 जेट्स की तकनीक आउटसोर्स भी की है. खबरें हैं कि चीन से जे -17 जेट का पहला बैच पाकिस्तान को मिल चुका है. कहा जाता है कि इसी जेएफ -17 जेट का प्रयोग पाकिस्तानी वायु सेना द्वारा पिछले साल बालाकोट में किया था.

भारत की ताकत राफेल की खूबियां अपार
बात करें भारत की तो रूस से सुखोई जेट आयात करने के बाद 23 वर्षों में राफेल भारत का पहला बड़ा लड़ाकू विमान बेड़े में शामिल हुआ है. राफेल जेट कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है. राफेल उल्का पिंड से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल ले जा सकता है. जिसकी रेंज 250 से 300 किलोमीटर तक होती है. यूके, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के सामने आने वाले आम खतरों का मुकाबला करने के लिए एमबीडीए द्वारा यह विकसित किया गया था. राफेल 50,000 फीट प्रति मिनट की गति से चढ़ाई कर सकता है. इस दौरान हवा से हवा में मार कर सकता है.

राफेल एक साथ हवा में कई हमले कर सकता है जिनमें एयर टू एयर फायरिंग भी शामिल है. यह एयर-टू-ग्राउंड स्ट्राइक को भी अंजाम दे सकता है. राफेल की मिशन प्रणाली में विभिन्न प्रकार के वर्तमान और भविष्य के हथियारों को एकीकृत करने की क्षमता है.

खास है डिजायन
यह MICA एयर-टू-एयर 'बियॉन्ड विजुअल रेंज' (BVR) इंटरसेप्शन, कॉम्बैट और सेल्फ डिफेंस मिसाइलों जैसे हथियारों को संचालित करने में सक्षम है. लंबी दूरी तक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल METEOR, हैमर मॉड्यूलर, रॉकेट, लेजर बम भी इसकी ताकत हैं. राफेल को 14 हार्डपॉइंट्स के साथ फिट किया गया है, जिनमें से पांच ड्रॉप टैंक हैं जो भारी अस्त्र ढोने में सक्षम हैं. इसकी कुल बाहरी भार क्षमता नौ टन से अधिक है. इसका मतलब हुआ कि राफेल अपने खुद के खाली वजन के बराबर वजन उठा सकता है. इसके कॉकपिट का डिज़ाइन भी बेहद खास है जिसमें काफी स्पेस है.

राफेल के सभी ऑपरेशन सफल
राफेल युद्ध के लिए तैयार है, इसका पहले ही युद्ध की परिस्थितियों में प्रयोग हो चुका है. अफगानिस्तान, बेंगाजी, इराक और सीरिया में अलग-अलग इलाकों में चले ऑपरेशनों में राफेल गरज चुका है. इस हिसाब से चीनी J-20 इसके सामने कहीं नहीं टिकता. इसके अलावा राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने को रूस द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय बता रहा है.

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