Karman line: क्या है कारमन रेखा जो बताती है पृथ्वी की सीमा और कहां से होती है अंतरिक्ष की शुरुआत
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Karman line: क्या है कारमन रेखा जो बताती है पृथ्वी की सीमा और कहां से होती है अंतरिक्ष की शुरुआत

Space News: कारमन लाइन (Karman line) वो रेखा है जिसके जरिए हवाई यात्रा और अतंरिक्ष यात्रा (Space Travel) के बीच की सीमा का निर्धारण भी किया जाता है. इससे ये भी तय होता है कि धरती का चक्कर लगाने वाले सैटेलाइट किस ऊंचाई पर रहेंगे. 

फोटो: रॉयटर्स

What is Karman Line: वो रहस्य जहां पृथ्वी (Earth) समाप्त होती है और अंतरिक्ष (Space) की शुरुआत होती है, इसके बारे में जानना सदियों से लोगों के कौतूहल का विषय रहा है. पृथ्वी और अंतरिक्ष की सीमा को वैज्ञानिक कारमन रेखा (Karman Line) कहते हैं. वैसे तो यह कोई सीमा रेखा ना होकर बाकायदा एक क्षेत्र है. एयरोनॉटिक्स का रिकॉर्ड रखने वाली संस्था एफएआई (FAI) ने इसी कारमन रेखा को पृथ्वी के वायुमंडल (Atmosphere) और अंतरिक्ष के बीच की सीमा के रूप में परिभाषित किया है.

वायुमंडल पर किसी का जोर नहीं

धरती (Earth) के बारे में समझाने के लिए वैज्ञानिक इसका थल सीमा (Earth Area), जल सीमा (Sea Area) और हवाई सीमा के रूप में निर्धारण करते हैं. थल क्षेत्र से देशों की सरहद का बंटवारा होता है. इसी तरह से अलग अलग देशों की अपनी समुद्री सीमा होती है. लेकिन हवाई सीमा (Air Space) से ऊपर मौजूद वायुमंडल (Atmosphere) पर किसी का जोर नहीं है. वायुमंडल चूंकि कई परतों से बना है जिसे समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च करते रहते हैं. वायुमंडल की हर परत की अपनी अलग अलग खासियत है. ऐसे में एक और सवाल दिमाग में आता है कि आखिर इस वायुमंडल की हद क्या है. यानी किस ऊंचाई पर जाकर ये कहा जा सकता है कि हम अब धरती की रेंज से बाहर आ गए हैं. दरअसल इन्हीं सारे सवालों का जवाब हमारे वैज्ञानिकों ने जिस आधार पर दिया उसे कारमन रेखा कहा जाता है.

nationalgeographic.com में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस सीमा को परिभाषित करना कई कारणों से महत्वपूर्ण हो सकता है. दुनिया में स्पेस टूरिज्म का कॉन्सेप्ट आ चुका है. वर्जिन गैलेटिक जैसी कंपनियां इंसानों को अंतरिक्ष की सैर कराने की तैयारी कर चुकी हैं. धरती के बाहर जीवन की तलाश में नासा (Nasa) जैसी स्पेस एजेंसियों के प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं. ऐसे में धरती की हद को समझने के लिए हमें सबसे पहले अपने वायुमंडल के बारे में समझना होगा. हमारे वायुमंडल को वैज्ञानिकों ने कई हिस्सों में बांटा है. इसमें हर परत की धरती को इंसानों के रहने योग्य बनाने में अहम भूमिका है. 

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कैसे मिला ये नाम?

वैज्ञानिकों के अलावा बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि धरती की आखिरी सीमा और अंतरिक्ष की शुरुआत कही जाने वाली कारमन रेखा (Karman Line) कहां है जिसके पार हो जाने पर ये मान लिया जाता है कि कोई रॉकेट या अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में पहुंच गया है. इस रेखा को नाम जरूर इंसानों ने दिया है लेकिन इसका निर्धारण प्राकृतिक ही है. कारमन रेखा (Karman Line) को ये नाम हंगरी-अमेरिकी वैज्ञानिक थियोडोर वॉन कारमन (Theodore Von Kamran) के नाम पर दिया गया जिन्होंने साल 1957 में पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच की सीमा रेखा को परिभाषित करने का प्रयास किया था. आपको बता दें कि कार्मन ने जेट विमानों में नवाचार समेत हाइपरसोनिक एयरफ्लो, सुपरसोनिक स्पीड और एयरोडॉयनमिक्स (Aerodynamics) जैसे विषयों पर भी काम किया था. जिसकी वजह से आज स्पेस सेक्टर 21 वीं सदी की एक बड़ी इंडस्ट्री बन गई है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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