लद्दाख को सैन्य छावनी बनाने वाले China ने भारत पर लगाया Pangong Lake को बर्बाद करने का आरोप
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लद्दाख को सैन्य छावनी बनाने वाले China ने भारत पर लगाया Pangong Lake को बर्बाद करने का आरोप

ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि पैंगोंग झील इलाके में इमारतें और सड़कें बनाई जा रही हैं. भारत ने फिंगर-3 पर सैन्‍य शिविर बनाया है. यहां लगातार इंसानी गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिसका सबका खामियाजा झील को उठाना पड़ रहा है.

 

फाइल फोटो

बीजिंग: लद्दाख हिंसा के बाद भारत (India) द्वारा चीन (China) को सबक सिखाने के लिए उठाए गए कदमों ने ड्रैगन की आर्थिक कमर तोड़कर रख दी है. भारत से प्रेरणा लेते हुए अमेरिका (America) सहित कुछ दूसरे देशों ने भी चीन को नुकसान पहुंचाने वाले फैसले लिए हैं. चौतरफा हो रही स्ट्राइक से चीन की कम्युनिस्ट सरकार बौखला गई है और इसी बौखलाहट में अजीब बयानबाजी कर रही है. अब चीन ने भारत पर पैंगोंग झील (Pangong Tso lake) को बर्बाद करने का आरोप लगाया है, जबकि पूरी दुनिया जानती है कि असली दोषी वो खुद है.

  1. ग्लोबल टाइम्स ने कहा भारत शांति के लिए भी है खतरा
  2. इंसानी गतिविधियों के बढ़ने से हो रहा झील को नुकसान
  3. अखबार ने चीन के प्रयासों का किया गुणगान 
  4.  

Ladakh में तैनात हैं इतने चीनी सैनिक 

चीन की कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने आरोप लगाया है कि भारत न केवल पैंगोंग झील (Pangong Tso lake) इलाके की शांति और स्थिरता के लिए ही खतरा पैदा कर रहा है, बल्कि वो 134 किमी लंबी पैंगोंग झील के ईको-सिस्‍टम को भी बर्बाद करने पर तुला है. यहां, गौर करने वाली बात ये है कि चीन ने लद्दाख में पचास हजार से ज्यादा सैनिक तैनात कर रखे हैं. लेकिन झील को बर्बाद करने का आरोप वो भारत पर लगा रहा है. यानी ये वही बात हो गई कि 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे'.

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Indian Report का दिया हवाला

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने एक भारतीय रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि पैंगोंग झील के आसपास इंसानी गतिविधियों के बढ़ने से पैंगोंग झील में बैक्टिरिया पैदा हो रहे हैं. उसने कहा कि भारत के मान (Maan) गांव में सैंकड़ों टेंट देखे जा सकते हैं, जिनमें 10 हजार पर्यटकों के रहने की व्‍यवस्‍था की गई है. अखबार ने आगे कहा, भारत पैंगोंग झील के पास तेजी से सैन्‍यीकरण को बढ़ा रहा है. सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि इस इलाके में इमारतें और सड़कें बनाई जा रही हैं. भारत ने फिंगर-3 पर सैन्‍य शिविर बनाया है. इस सबका खामियाजा झील को उठाना पड़ रहा है.

थपथपाई अपनी पीठ

अखबार ने शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर एशिया-पैसिफिक स्टडीज के निदेशक Zhao Gancheng के हवाले से कहा है कि इस इलाके के ईको-सिस्टम को बचाए रखना बेहद जरूरी है. भारत और चीन के बीच इसके संरक्षण को लेकर कोई समझौता नहीं है और मौजूदा गतिरोध ने स्थिति को नाजुक बना दिया है. खासतौर पर भारत को झील के संरक्षण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. Global Times ने दावा किया कि चीन झील के ईको- सिस्‍टम को बचाने का प्रयास कर रहा है. चीनी इलाके में कचरे को दूर ले जाकर निस्‍तारित किया जाता है. चीनी इलाके में झील का पानी साफ बना हुआ है, जो उसके प्रयासों को दर्शाता है.

और ये है हकीकत 
चीन ने पैंगोंग झील इलाके को सैनिक छावनी में बदल दिया है. उसने आसपास सैनिक बंकर और रडार स्‍टेशन भी बनाए हैं. बीजिंग पैंगोग के किनारे-किनारे ऑप्टिकल फाइबर बिछा रहा है, जिससे चीनी सेना के कम्युनिकेशन को बेहतर और सुरक्षित बनाया जा सके. ड्रैगन ने डीजल से चलने वाली हथियारों से लैस कई नावें भी तैनात की हुई हैं. जानकारों के मुताबिक, पहले चीन और भारत की सेनाएं सर्दियों में पैंगोंग इलाके से हट जाती थीं, लेकिन इस बार चीन की उकसावे वाली कार्रवाई की वजह से स्थिति पूरी तरह बदल गई है. चीनी सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है. इसके बाद भी चीन भारत पर इलाके के ईको-सिस्टम को बर्बाद करने का आरोप लगा रहा है.

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