इमरान खान का ऐलान, करतारपुर दर्शन के लिए बिना पासपोर्ट आ सकेंगे भारतीय श्रद्धालु
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इमरान खान का ऐलान, करतारपुर दर्शन के लिए बिना पासपोर्ट आ सकेंगे भारतीय श्रद्धालु

इमरान खान ने कहा कि करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए 10 दिन पहले एडवांस में रजिस्ट्रेशन कराने की कोई जरुरत नहीं होगी. 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल फोटो  @ImranKhanOfficial)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) के उद्घाटन से पहले शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया है. इमरान खान ने कहा है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए पासपोर्ट की जरुरत नहीं होगी. 

इमरान खान ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, भारत से करतारपुर आने वाले सिख श्रद्धालुओं के मैंने दो शर्तों को छोड़ दिया है. एक- उनके पास पासपोर्ट (Passport) होना जरूरी नहीं, सिर्फ एक वैद्य आईडी ही काफी है. दो - उन्हें 10 दिन पहले एडवांस में रजिस्ट्रेशन कराने की कोई जरुरत नहीं होगी. 

इमरान खान ने कहा, उद्घाटन के दिन किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाएगी. गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मदिन पर भी श्रद्धालुओं से कोई फीस नहीं ली जाएगी.' 

 बता दें अन्य दिन पाकिस्तान प्रत्येक श्रद्धालु से 20 डॉलर सेवा शुल्क लेगा. कॉरिडोर सुबह से लेकर शाम तक खुला रहेगा और सुबह तीर्थयात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को उसी दिन लौटना होगा। कॉरिडोर पूरे साल संचालित होगा, सिर्फ अधिसूचित दिनों को छोड़कर, जिसकी सूचना अग्रिम तौर पर दी जाएगी।

बाबा गुरु नानक के 12 नवंबर को होने वाले 550वें प्रकाशोत्सव से तीन दिन पहले 9 नवंबर को इमरान खान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर गलियारे का उद्घाटन करेंगे. भारतीय सीमा के बिलकुल पास स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक श्रद्धालु इस गलियारे के जरिए जा सकेंगे. 

वहीं पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) का उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी भारत की तरफ बने नए टर्मिलन पर होने वाले कार्यक्रम में भी पीएम मोदी शामिल होंगे. 

गौरतलब है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब (Punjab) प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है, जोकि डेरा बाबा नानक के समीप सीमा से 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह गुरुद्वारा सिखों (Sikhs) के लिए काफी पवित्र है, क्योंकि गुरु नानक देव (Guru Nanak dev) ने अपने जीवन के 18 साल और अपना अंतिम समय भी यहीं बिताया था.

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